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टी. एस. इलियट ने कभी कहा कि केवल अतीत ही वर्तमान को प्रभावित नहीं करता, वर्तमान भी अतीत को प्रभावित करता है इलियट की इस उक्ति को कई सन्दर्भों में उद्धृत किया जाता रहा है। हिन्दी साहित्य की एक विधा यात्रा-वृत्तान्त के सन्दर्भ में भी इसको देखा जा सकता है।
 
 भारतेन्दु युग से लेकर द्विवेदी युग और उसके बाद छायावाद युग में यात्रा-वृत्तान्त की विकास यात्रा को रेखांकित किया जा सकता है लेकिन विषय वैविध्य और रचना के शिल्प के आधार पर बाद के कालखण्ड में यात्रा-वृत्तान्त एक विधा के तौर पर समृद्ध हुआ। इस समृद्धि ने पूर्ववर्ती युगों में लिखे गये वृत्तान्तों को एक धारा से जोड़ा।
 
 राहुल 'नील' ने अपनी इस पुस्तक में यात्रा-वृत्तान्त के माध्यम से इतिहास और वर्तमान में आवाजाही करते, बेहद रोचक और ज्ञानवर्धक तरीके से दोनों को जोड़ने वाली डोर को, क्षमतापूर्वक उद्घाटित किया है।
 
 'नील' ने कई स्थानों की यात्रा के दौरान वहाँ के बारे में विभिन्न जानकारी देने के साथ-साथ, नैसर्गिक सौन्दर्य का बहुत ही सुन्दर वर्णन किया है।
 
 'नील' कवि भी हैं। जब उनके गद्य में प्राकृतिक सौन्दर्य का वर्णन आता है तो आपको कवि की भावुकता के साथ-साथ, गद्यकार की दार्शनिकता | का संगम भी नज़र आता है। यही संगम 'नील' के यात्रा-वृत्तान्त को राहुल (सांकृत्यायन की परम्परा से जोड़ देता है। 
 - अनंत विजय

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