Pehle Tumhara Khilna

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"पहले तुम्हारा खिलना - विजेन्द्र हमारे समय के विशिष्ट कवि हैं जिनमें नवीनता की पूरी चेतना के साथ जातीय स्मृतियों को अपनी कविता में गूँथने का विरल कौशल है। विजेन्द्र की विशेषता है कि वे अपने अंचल के भूगोल, प्रकृति, परिवेश, मानवीय क्रियाओं, अनुभवों, मुहावरों के निकट अपने पाठक को सिर्फ़ ले जाते ही नहीं, बल्कि उनसे तादात्म्य कराते हैं। यह विजेन्द्र की बड़ी शक्ति है जो उन्हें अन्य कवियों से अलग करती है। विजेन्द्र निरन्तर अन्वेषणशील कवि हैं। जीवन और रचना की परिपक्वता के बावजूद यह खोज उनमें जारी रहती है। उनकी कविता में एक ईमानदार नैतिक बोध एवं उदार व्यक्ति के असुरक्षा बोध का स्वर बहुत ऊँचा और परिपक्व है। चाहे सुन्दरता हो या कुरूपता; विजेन्द्र अपनी कविताओं में बहुत ही प्रामाणिकता और बारीकी से इन्हें रूपायित करते हैं। विजेन्द्र की काव्य-भाषा को लेकर हमेशा विवाद रहा है, क्योंकि वे काव्य-भाषा के साँचे को तोड़ते हैं। उनकी भाषा कथ्य के अनुरूप लोकांचलों की ओर सहज भ्रमण करती है। उसमें नयी लोकोन्मुख संस्कृति की विकसित होती छवियाँ भी बराबर दिखती हैं। वे कविता के संसार को नया ही नहीं बनातीं, उसमें अपने समय के यथार्थ को भी चित्रित करती है। "
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8126310855
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