Preet Ke Rang
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"प्रीत के रंग -
सर्जना मानसिक उद्वेगों की जननी है। जब व्यक्ति के अन्तर्मन में तरह-तरह की भावनाएँ उत्पन्न होती हैं तो उन्हें शब्द और लेखनी के माध्यम से प्रस्फुटन की एक ऐसी भावभूमि मिलती है जिसमें वह यात्रा करते हुए कई बार डूबता-उतरता है। अन्ततः उसकी नाव एक किनारे जाकर स्थिर हो जाती है। शब्द शिल्प की यह यात्रा जब आकार लेती है तो स्वयमेव सृजन का सुदीर्घ वितान समुपस्थित हो जाता है और सर्जक उसकी आन्तरिक अनुभूतियों में कहीं खो-सा जाता है।
काव्य लेखन हो या गद्य, उसमें अपने अनुभवों और भावनाओं को अपनी इच्छा के अनुसार ढलते देखने की एक सुखद अनुभूति है। व्यक्ति के समक्ष जब कोई बात स्पष्टतया कहने का अवसर सुलभ नहीं होता तो लेखनी उसका माध्यम बनकर उसे शब्दशः रूपायित करने का मार्ग प्रशस्त कर देती है। और वे अनुभूतियाँ भविष्य के लिए सुरक्षित होकर अन्तर्द्वन्द्व या कभी-कभी सन्त्रास की स्थिति में आत्म सम्बल बनकर उसे सहारा देती हैं।
प्रस्तुत काव्य-चेतना प्रीत के रंग में ऐसी ही अनेक अनुभूतियों को शब्द देने की एक ऐसी सहज-असहज पृष्ठभूमि तैयार हो गयी जिसे 'जो जैसा था' के भाव से ही अभिव्यक्त है।
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ISBN
9789355181695