Prem Ke Vibhin Rang
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जीवन क्या है : विभिन्न मानवीय क्रियाओं का लेखाजोखा! इन क्रियाओं के केन्द्र में जो मूल भाव है : वह है प्रेम का भाव। चाहे प्रेम प्रियतम से हो, प्रकृति से, बच्चे से या माँ-पिता से, हर व्यक्ति प्रेम चाहता है, प्रेम करना चाहता है व निभाना चाहता है। इसी प्रेम के वशीभूत होकर, कई बार लिखना चाहा, लिखकर मिटा दिया, लेकिन कई भाव जो आँसुओं से अमिट हो गये, उन्होंने अनायास ही कविताओं का रूप ले लिया। विदेश सेवा में घर से दूर, देश से दूर-परदेस में रहने के कारण मैंने रिश्तों की महत्ता समझी-प्रेम के विभिन्न रूपों को पहचाना। उन क्षणों में जब व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार हो सकता है-मुझे मेरे देश-प्रेम और रिश्तों के प्रेम की लौ ने ऊष्मा प्रदान की और मुझे जीवन्त बनाये रखा। प्रस्तुत प्रथम कविता संग्रह में प्रेम से लिखी गयी-प्रेम के विभिन्न रूपों को मन के कैमरे से पकड़ने की कवायद है। मुख्यतः प्रवास में लिखी गयी इन कविताओं में कहीं मूक पुकार है, कहीं क्रन्दन है, कहीं अभिनन्दन है तो कहीं-कहीं मिलन के राग भी हैं। इस कविता संग्रह में एक दशक से जमी देश और अपनों की जुदाई की बर्फ को परत-दर-परत हटाने की कोशिश है, जो कि अपने लोग और स्वदेश प्रेम की यादों की गरमाहट से कभी पिघलती है, तो कभी उस पर और भी तुषारापात हो जाता है। आशा है, आप पाठकों को यह कविता संग्रह पसन्द आयेगा। -अंजु रंजन
ISBN
9789389563511