Purush

In stock
Only %1 left
SKU
9789357757300
Rating:
0%
As low as ₹285.00 Regular Price ₹300.00
Save 5%

पुरुष -

'ज्ञानपीठ पुरस्कार' से सम्मानित श्रीनरेश मेहता के काव्य पुरुष में प्रकृति ही नहीं, पुरुष पुरातन की भी भाव-लीलाएँ हैं, जिनमें सामान्य मनुष्य की सहभागिता है। इस कारण यह काव्य दर्शन जैसा बोझिल न होकर जीवन-सौन्दर्य और भाषा के लालित्य से आप्लावित है।

देहावसान के कुछ समय पूर्व से नरेशजी ब्रह्माण्ड पर एक काव्य रचना चाह रहे थे। वे अहर्निश चिन्तन-मनन में डूबे रहते थे। उन्होंने अनुभव किया कि मनुष्य और ब्रह्माण्ड दो धुव्रों के बीच मानवीय विचारयात्रा सम्पन्न होती है। ब्रह्माण्ड के अतुल विस्तार में मनुष्य एक बिन्दुमात्र है जबकि दूसरी ओर वह उसका द्रष्टा है और इस नाते उसका अतिक्रामी । वे इसी आधारभूमि पर सम्भवतः खण्ड-काव्य लिख रहे थे जो उनके निधन से दुर्भाग्यवश अधूरा रह गया । ब्रह्माण्ड विषयक उसी काव्य का एक महत्त्वपूर्ण खण्ड है पुरुष, जो अपने में पूर्ण है।

पुरुष और प्रकृति के युगनद्ध से रचा सृष्टि- बोध नरेशजी के जीवनराग की कोमलता का पर्याय है। यही प्रतीति उनके कवि को पूर्णता देती है।

पुरुष काव्य-खण्ड की प्रकृति उर्वशी की भाँति रमणीय तो है पर सृष्टि के सन्दर्भ में उसके अनगढ़ या ज्वलन्त विराट रूप के हमें दर्शन होते हैं। पुरुष और प्रकृति की पारस्परिकता, निर्भरता और एक दूसरे में विलय का जो मनोरम वर्णन इस प्रकृति में मिलता है वह सृष्टि की अद्भुत व्याख्या के रूप में हमारे सामने आता है।

भारतीय ज्ञानपीठ श्रीनरेश मेहता के इस काव्य-खण्ड को प्रकाशित करते हुए सन्तोष का अनुभव करता है कि गम्भीर और मर्मज्ञ पाठक के लिए उसे एक परा और अपरा संवेदी कृति प्रस्तुत करने का अवसर मिल रहा है।

ISBN
9789357757300
sfasdfsdfadsdsf
Write Your Own Review
You're reviewing:Purush
Your Rating
Copyright © 2025 Vani Prakashan Books. All Rights Reserved.

Design & Developed by: https://octagontechs.com/