Publisher:
Vani Prakashan

Rajneeti Ki Kitab (CSDS)

In stock
Only %1 left
SKU
Rajneeti Ki Kitab (CSDS)
Rating:
0%
As low as ₹375.25 Regular Price ₹395.00
Save 5%

विकासशील समाज अध्ययन पीठ (सी. एस. डी.एस.) द्वारा प्रायोजित लोक-चिन्तक ग्रन्थमाला की यह पहली कड़ी हिन्दी के पाठकों का परिचय राजनीतिशास्त्र के मशहूर विद्वान रजनी कोठारी के कृतित्व से कराती है।

हैं रजनी कोठारी का दावा है कि भारतीय समाज के सन्दर्भ में राजनीतिकरण का मतलब है आधुनिकीकरण। यानी जो राजनीति को नहीं समझेगा वह भारत जैसे कतई अ-सेकुलर समाज में परिवर्तन की प्रक्रिया को समझने से वंचित रह जायेगा। आज का भारत उसके हाथ से फिसल जायेगा। रह जायेंगी कुछ उलझनें, कुछ पहेलियाँ और सिर्फ गहरा क्षोभ । जैसे, पता नहीं इस देश का क्या होगा? पता नहीं राजनीति से जातिवाद कब खत्म होगा? यह हिन्दुत्व की धार्मिक राजनीति कहाँ से टपक पड़ी? साम्प्रदायिकता का इलाज कीन करेगा, राजनीति में अचानक यह दलितों और पिछड़ों का उभार कहाँ से हो गया? पता नहीं भ्रष्टाचार के उन्मूलन के लिए सरकारें और नेता कोई संस्थागत प्रयास क्यों नहीं करते? हमारे राजनेता इतने पाखंडी क्यों होते हैं? पता नहीं हमारा लोकतन्त्र पश्चिम के समृद्ध लोकतन्त्रों जैसा क्यों नहीं होता? एक बहुजातीय, बहुसांस्कृतिक और बहुभाषी देश में केन्द्रीकृत राष्ट्रवाद का भविष्य क्या है? ऐसा क्यों है कि हमारा राज्य 'कठोर' बनते-बनते अन्तर्राष्ट्रीय ताकतों के सामने पोला साबित हो जाता है? जो लोग विकल्प की बातें करते थे वे व्यवस्था के अंग कैसे बन जाते हैं? छोटे-छोटे स्तर के आन्दोलनों का क्या महत्त्व है? ये आन्दोलन बड़े पैमाने पर अपना असर क्यों नहीं डाल पाते? हम परम्परावादी हैं या आधुनिक ? हमारा बहुलतावाद आधुनिकीकरण में बाधक है या मददगार ? इतने उद्योगीकरण के बाद भी गरीबी क्यों बढ़ती जा रही है? किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत क्यों नहीं मिलता ? पहले कैसे मिल जाता था ? कांग्रेस ने जो जगह छोड़ी है, वह कोई पार्टी क्यों नहीं भर पाती? वामपन्थियों का ऐसा हश्र क्यों हुआ? नया समाज क्यों नहीं बनता? यह भूमंडलीकरण क्या बला है? इसका विरोध करने की क्या जरूरत है? ऐसे और भी ढेर सारे सवाल अनगिनत कोणों से न सिर्फ सोचे जाते हैं, बल्कि सरोकार रखनेवाले लोगों के दिमागों को मथते रहते हैं? रजनी कोठारी की विशेषता यह है कि उनके पास इन सवालों के कुछ ऐसे जवाब हैं जो कभी आसानी से और कभी मुश्किल से आपको अपना कायल कर लेते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप एक आम आदमी हैं या समाजविज्ञान के कोई विशेषज्ञ। कोठारी के पास दोनों तरह की शब्दावली है। उनके वाङ्मय में नैरंतर्य के सूत्र तो हैं ही, साथ ही उन विच्छिन्नताओं की शिनाख्त भी की गयी है जिनके बिना निरन्तरता की द्वन्द्वात्मक उपस्थिति की कल्पना नहीं की जा सकती।

ISBN
Rajneeti Ki Kitab (CSDS)
Publisher:
Vani Prakashan

More Information

More Information
Publication Vani Prakashan

Reviews

Write Your Own Review
You're reviewing:Rajneeti Ki Kitab (CSDS)
Your Rating
Copyright © 2025 Vani Prakashan Books. All Rights Reserved.

Design & Developed by: https://octagontechs.com/