Ramnath Rai Ki Sarvashreshtha Kahaniyan
रमानाथ राय की सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ -
दिलीप कुमार शर्मा 'अज्ञात' द्वारा चयनित और हिन्दी में अनूदित रमानाथ राय की श्रेष्ठ कहानियों का संकलन है यह कृति। रमानाथ राय बाँग्ला के एक विशिष्ट रचनाकार हैं जो आधुनिक जीवन की विडम्बनाओं और विसंगतियों को अपनी कहानी के माध्यम से स्थापित करते हैं और इसके लिए वे फ़ंतासी और व्यंग्य का सहारा लेते हैं। किसी अच्छे अनुवाद की विशिष्टता यह है कि पढ़ने में वह मूल का सा आस्वाद दे और पाठक को यह बिल्कुल न लगे कि वह कोई अनूदित टेक्स्ट पढ़ रहा है। स्रोत भाषा के भावबोध को आत्मसात करते हुए लक्ष्य भाषा की मुहवरेदारी और प्रवाह बना रहना चाहिए। संग्रह की इन कहानियों से गुज़रते हुए हम अनुवाद की इस भाषाई क्षमता से तो परिचित होते ही हैं, साथ ही दोनों भाषाओं पर उनके समान अधिकार से भी। रमानाथ राय की कहानियों में महत्वपूर्ण तत्व है क़िस्सागोई और फ़ंतासी। इन्हीं के माध्यम से आधुनिक जीवन की विडम्बनाओं और उसके सामाजिक राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को परत-दर-परत उजागर करते हैं। इनके कहानियों में पारिवारिक सम्बन्धों के ताने-बाने का टूटना, रक्त सम्बन्धियों में भी कहीं आत्मीयता का लेश मात्र दिखाई नहीं पड़ता, चाहे पिता-पुत्र के सम्बन्ध में हो या पति-पत्नी के जीवन की उत्सवधर्मिता कहीं खो गयी सी लगती है और यान्त्रिकता उसकी जगह लेती जा रही है। कोई सम्बन्ध अगर जीवित है तो उसकी नींव में स्वार्थपरता है। रमानाथ राय के कहानियों में कल्पना और यथार्थ, स्वप्न और जागरण, मिथ और इतिहास का अद्भुत सम्मिश्रण देखने को मिलता है, जिसके माध्यम से आज के संश्लिष्ट जीवन को उकेरा गया है। संग्रह की ये कहानियाँ अपनी बेबाकी और अपने मार्मिक व्यंजना से हमें कहीं गहरे विचलित करती हैं। कहानीकार का उद्देश्य भी यही है कि वे जीवन की इन मार्मिक सच्चाइयों से हमें रू-ब-रू कराये, रिश्तों के खोखलेपन को हमारे सामने रखे और जीवन की विसंगतियों को समझने की एक दृष्टि दे। रमानाथ राय की कहानियाँ हिन्दी में कम अनूदित हुई हैं। ऐसे में इस अनूठे कथाकार की कहानियों का हिन्दी में आना स्वागत योग्य है और इसके लिए दिलीप कुमार शर्मा 'अज्ञात' साधुवाद के पात्र हैं। —ब्रजेंद्र त्रिपाठी