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रिपोर्टर -
मैजिस्ट्रेट ने जवाब तलब किया था-मणि बाबू आप ऐसी ख़बरें क्यों छापते हैं? बाऊजी ने जवाब दिया, 'क्योंकि यही सब घट जो रहा है।' मैजिस्ट्रेट ने अगला सवाल किया, 'अनंग बाबू के बारे में इतना कुछ लिखने की क्या ज़रूरत थी'? बाऊ जी का जवाब था, 'ज़रूरत थी'। अनंग बाबू जैसी उम्र का शख़्स, इस आन्दोलन में शामिल है, उनका पिछला इतिहास, जनता नहीं जानना चाहेगी?” मैजिस्ट्रेट ने मानो हथियार डाल दिये, 'अब मैं आपसे क्या कहूँ?' बाऊ जी का साफ़ जवाब था, 'कुछ मत कहिए, मुमकिन है आपकी बात में न मानूँ।' मैजिस्ट्रेट ने अफ़सोस ज़ाहिर किया,' आपका अपना बेटा भी उग्रपंथी हो गया, वेरी सैड! आप ठहरे अहम् हस्ती... बाऊ जी के पास इसका भी जवाब था, 'देखिए, जब मैंने राजनीति की, अपने पिता की बात नहीं मानी। इसलिए बेटे को रोकने वाला मैं कौन होता हूँ? वैसे मुझे नहीं लगता कि वह ग़लत कर रहा है।' जज ने फिर पूछा, 'यानी अख़बारों में आप इस क़िस्म की ख़बरें छापते रहेंगे?' बाऊ जी ने छूटते ही जवाब दिया, 'देखिए, मेरे ज़िला सफ़र में, अगर मेरे बंदी बच्चों पर गोलियाँ चल सकती हैं, तो अख़बार वह ख़बर दे ही सकता है और आप अपने फैसले मुताबिक क़दम उठा सकते हैं।'
-इसी पुस्तक से