Rukhsat Karo Mujhe
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9789387409088
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मुनव्वर राना हमारे उत्तर-आधुनिक समय के बेहद प्रयोगधर्मी और लोकप्रिय शायर हैं। नये समाज के नये जीवन-मूल्यों और विडम्बनाओं को उन्होंने अपनी शायरी के साथ से देखा और शिद्दत से महसूस कराया। उन्होंने न सिर्फ साफ़-शफ़्फ़ाक शे'र कहे बल्कि ग़ज़ल को आभिजात्यता से मुक्त कराया और उसे जनसाधारण की सिन्फ़ (विधा) बनाने में कामयाब हुए। उन्होंने ग़ज़लगोई के लिए नायाब शैली विकसित की और इसी शैली के ज़रिए अश्आर में अनूठा ‘स्पार्क' पैदा किया। मुनव्वर राना की ग़ज़लों में एक गूँज-सी महसूस होती है। यह गूँज, दरहक़ीक़त, हिन्दुस्तान की जो गंगा-जमुनी तहज़ीब है, उसी से छनकर आती है। उर्दू ग़ज़ल में जब ‘प्रेमिका' एक विशिष्ट किरदार के रूप में अहमियत हासिल कर रही थी, मुनव्वर राना माँ की संवेदना को बड़ी सादगी, जज़्बे और एहतराम के साथ व्यक्त करने लगे। यह एक अदबी घटना थी, जिसका हार्दिकता से स्वागत हुआ। मुनव्वर राना की तख़्लीक का हासिल यह है कि वो जितना आसान कहते हैं, 'बात' उतनी ज्यादा असरज़दा होती है। मनव्वर राना की शायरी कई-कई दुनियाओं की शायरी है।
ISBN
9789387409088