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Rut

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“आग के फूलने​-​फलने का हुनर जानते हैं

ना बुझा हमको के जलने का हुनर जानते हैं 

हर नये रंग में ढलने का हुनर जानते हैं, 

लोग मौसम में बदलने का हुनर जानते हैं“

इन्दौर की शायरी एक खूबसूरत कानन है, जहाँ मिठास की नदी लहराकर चलती है। विचारों का, संकल्पों का पहाड़ है जो हर अदा से टकराने का हुनर रखता है। फूलों की नाजुकता है जो हर दिल को लुभाने का हुनर रखती है और खाइयों की सी गहराई है जो हर दिल को अपने में छुपाने का हुनर रखती है। वे हर रंग की शायरी करते हैं जिसमें प्यार का, नफरत का, गुस्से का, मेल-मिलाप के रंग बिखरे पड़े है। 

“मेरी आँखों में कैद थी बारिश 

तुम ना आये तो हो गई बारिश 

आसमानों में ठहर गया सूरज 

नदियों में ठहर गई बारिश”

राहत अपनी शायरी में दो तरह से मिलते हैं​ - ​एक दर्शन में और एक प्रदर्शन में। जब आप उन्हें हल्के से पढ़ते हैं तो केवल आनन्द आता है, लेकिन जब आप राहत के दर्शन में, विचारों में डूबकर पढ़ते हैं तो एक दर्शन का अहसास हो जाता है। और जब आप दिल से पढ़ते हैं तो वह आपके दिलो-दिमाग पर हावी हो ​​जाएँगे और शायरी की मिठास में इतने खो जाएँगे कि बरबस ही शायरी आपके​ ​​होंठों पर कब्जा कर लेगी और आप उसके स्वप्निल संसार में गोते लगाए बिना नहीं रह पाएँगे। 

“तेरी आँखों की हद से बढ़कर हूँ, 

दश्त मैं आग का समन्दर हूँ। 

कोई तो मेरी बात समझेगा, 

एक कतरा हूँ और समन्दर हूँ।”

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