Sahitya Aur Sangeet-1
साहित्य और संगीत-1 -
साहित्य और संगीत का आपसी रिश्ता सभी कलाओं में सबसे आत्मीय है। भारत में तो विशेष रूप से। संस्कृत, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश से लेकर अवधी, ब्रज आदि भाषाओं और आज की खड़ी बोली तक जितना साहित्य उपलब्ध है, संगीत उसका किसी न किसी रूप में अभिन्न अंग रहा है। दोनों कलाओं के इस रिश्ते में अनेक कारणों से बदलाव भी आता रहा है। इतिहास इसका गवाह है। साहित्य और संगीत के इन सम्बन्धों के कितने रूप मिलते हैं, कब और कैसे उन्होंने एक-दूसरे को पुष्ट किया या प्रभावित किया, आपसी रिश्ते में कब और क्यों क्षीणता आयी, इत्यादि सवाल गहरे हैं। दोनों कलाओं के आपसी सम्बन्धों के विविध पहलुओं की पड़ताल के लिए अब तक कोशिशें भी कई हुई हैं। इन्हें एकत्र देखने की लम्बे समय से ज़रूरत बनी हुई थी। यह पहला ग्रन्थ है, जिसने इस आवश्यकता की पूर्ति का गम्भीर प्रयास किया है। दोनों कलाओं के अन्तरानुशासनिक अध्ययन को इससे निश्चय ही बल मिलेगा।