Sahitya Aur Swatantrata Prashna Pratiprashna
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"साहित्य और स्वतन्त्रता : प्रश्न-प्रतिप्रश्न -
हम जानते हैं कि साहित्य यात्रा का पथ सहज और सीधा नहीं है। अनेक नकारात्मक विचार पद्धतियों के बावजूद वह अपने स्वाधीन मूल्यों के लिए सतत संघर्ष करता है। प्रख्यात लेखक और विचारक देवेन्द्र इस्सर वर्तमान रचनात्मक संसार की ऐसी ही समस्याओं से जूझते रहे हैं। उनकी यह नवीनतम पुस्तक 'साहित्य और स्वतन्त्रता प्रश्न-प्रतिप्रश्न' भी उनके व्यापक संघर्ष, चिन्तन और अध्ययन का प्रतिफलन है। इतिहास का शायद ही कोई ऐसा दौर रहा हो जब मतान्धता और नवमूल्यों; जड़ परम्पराओं और तात्त्विक परिवर्तनों तथा सत्ता और स्वतन्त्रता में संघर्ष की स्थिति न रही हो और साहित्य ने इस संघर्ष में सदा की तरह रचनात्मक हस्तक्षेप न किया हो। लेखक की मान्यता है कि सृजन ही एक ऐसी प्रक्रिया है जो जलसे, जुलूसों, नारों-नक्कारों तथा फ़तवों-फ़रमानों के शोरगुल में भी जारी रहती है और मनुष्य की स्वाधीनता और मर्यादा को बनाये रखती है।
प्रत्येक महत्त्वपूर्ण रचना हमें अपने समय के यथार्थ से रू-ब-रू कराती है, भले ही वह मनुष्य की आन्तरिकता और एकाकीपन को अभिव्यक्त करती हो या बाह्य जगत के भयावह दृश्यों को दर्शाती हो। देवेन्द्र इस्सर के लेखन की विशेषता है कि उनके लेखों में सिर्फ़ यथार्थ का सपाट चेहरा नहीं, बल्कि सृजन और स्वतन्त्रता के अन्तर्सम्बन्धों को समझने की सुन्दर चेष्टा है।
हमें विश्वास है कि साहित्यिक आलोचना के प्रेमी पाठक इस कृति का हृदय से स्वागत करेंगे।
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ISBN
812631141X