Sahitya Aur Yatharth
साहित्य और यथार्थ -
यह पुस्तक 'साहित्य और यथार्थ' एक लम्बा निबन्ध है जिसमें लेखक ने तत्कालीन अमरीकी साहित्यिक माहौल का जायजा लेते हुए यथार्थ सम्बन्धी समस्याओं को उठाया है। इस पुस्तक को पढ़ते हुए पाठकों को सहज ही अनुभव होगा कि उनकी शैली वैसी आलोचनापरक नहीं है जैसी अक्सर आलोचनात्मक पुस्तकों की होती है। इसमें आवेश है, उग्रता है, तेजी है। लेकिन जिस माहौल में समाजवादी विचारों के ख़िलाफ़ जबरदस्त मुहिम चली हो; जहाँ व्यवस्था का शिकंजा सम्पूर्ण संस्कृति को ही नष्ट करने पर तुला हो; जहाँ लोगों के विश्वासों के नीचे की ज़मीन लगातार खिसकती जा रही हो; जहाँ कल के मित्र आज शत्रु पक्ष में हथियार संभाले आपको मारने पर आमादा हों; जहाँ रुग्णता, गुंडागर्दी, फूहड़ता का बोलबाला हो-इस माहौल में हावर्ड फास्ट की बेचैनी और तल्ख़ी को समझा जा सकता है। यह बहुत सम्भव है कि उनसे कुछ ज़्यादती भी हुई हो।