Salwaton Ka Sargana

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9789390659876
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सलवटों का सरगना - 
'सलवटों का सरगना' श्री अनिल कुमार श्रीवास्तव की कालजयी रचनाओं का प्रतिनिधित्व करने की एक कोशिश है। 60 एवं 70 के दशक में रची गयी इन कविताओं का विवेचन उस देश-काल-परिस्थिति को ध्यान में रख कर किये जाने के बाद भी, ये आज के दौर में भी उतनी ही प्रासंगिक जान पड़ती हैं। इस पुस्तक में उनके द्वारा रचित हर प्रकार की कविताओं की प्रतिनिधि कविताएँ सम्मिलित करने का प्रयास है, क्योंकि यदि भूख से जन्मा आक्रोश इसमें शामिल है तो प्रेम की स्मृति भी है, यदि अभाव की बच्ची के खेल देख कर मन निराश हो रूमानियत से इनकार करता है तो वहीं एक लैम्प पोस्ट का दिया जलने से रोशनी की आशा बँधाता है।
संसार में बहुत से अद्वितीय साहित्यकार कभी प्रकाशित न हो सके, परन्तु यह निश्चित तौर पर उनकी नहीं समाज की हानि है जो उन सभी का लेखन पढ़ सकने से वंचित रह गया। निश्चित तौर पर ऐसे ही सक्षम प्रकाशन से इन सक्षम रचनाओं को समझने और प्रकाशित करने की आशा की जा सकती थी।

ISBN
9789390659876
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