Sameerana Geet

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9789387330917
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जहाँ से चले थे वहीं आ गये हम, चले उम्र भर फ़ासले हुए न कम-यही है समीर की पूरी यात्रा। एक गीतकार के आईने में अगर समीर को उतारा जाये तो उनकी तस्वीर पानी की साफ़ नज़र आती है। किसी ने सच कहा है, पानी रे पानी तेरा रंग कैसा जिसमें मिला दो लगे उस जैसा। कविता के सारे रंगों में समीर ने अपने आपको ढाला है, जो जिया है वही लिखा है, जो देखा है वही महसूस किया है, आसान शब्दों में बड़ी बात कहना आसान नहीं होता। उदाहरण के तौर पर, धूप और छाँव की लड़ाई है, ज़िन्दगी अब समझ में आयी है। समीर के अन्दर प्यार का एक जीता-जागता समन्दर है, दर्द का एक चलता-फिरता रेगिस्तान है, हौसलों का एक अनन्त आसमान है, और सपनों की एक जगमगाती दुनिया है, इन सबकी बेचैनी को लेके समीर का कवि-मन अपनी खोज में भटकता रहता है। समीर की कविताओं में शब्दों से ज़्यादा भावनाओं को अहमियत दी गयी है।

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9789387330917
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