Santoor : Mera Jeevan Sangeet

In stock
Only %1 left
SKU
9788126340743
Rating:
0%
As low as ₹209.00 Regular Price ₹220.00
Save 5%
"सन्तूर : मेरा जीवन संगीत - ऐसा संगीतकार कई सदियों में एक बार ही पैदा होता है। —ज़ाकिर हुसैन पं. शिवकुमार शर्मा भारत के संगीत शिरोमणियों में से एक हैं। जम्मू में जनमे और एक ऐसे घर में पले-बढ़े जहाँ सुबह से शाम तक कोई-न-कोई गाता या बजाता रहता था, पं. शिवकुमार शर्मा ने अपना संगीत-जीवन बनारस में प्रशिक्षित अपने पिता की छत्रछाया में एक तबलावादक के रूप में आरम्भ किया। जब वे चौदह वर्ष के थे, उनके पिता एक दिन श्रीनगर से एक सन्तूर लेकर आये और घोषणा की कि उनके पुत्र को अपने जीवन का सही लक्ष्य मिल गया है। उन्होंने केवल परम्परागत कश्मीरी सूफ़ियाना गीतों में प्रयुक्त होनेवाले वाद्ययन्त्र को अपने हाथों में लिया और अगले कई वर्ष उस पर शल्य प्रयोग करके उसे हिन्दुस्तानी रागों के अनुकूल बनाया। इस सरस संस्मरण में कलाकार शान्त जम्मू कश्मीर में अपनी युवावस्था, बम्बई में एक संघर्षरत युवा कलाकार के रूप में ऑल इंडिया रेडियो के साथ अपने लम्बे और खट्टे मीठे सम्बन्धों, फ़िल्म जगत में अपने कार्य, मंच पर अपने सबसे रोमांचक पल, विश्वभर में अपने दौरों और सबसे अधिक संशयवादी और कभी-कभी हीनभावना से देखने वाले आलोचकों के बीच सन्तूर को एक शास्त्रीय वाद्ययन्त्र के रूप में स्थापित करने के संघर्ष को याद करता है। साथ ही, वह अपने कई सम्बन्धों और मुलाक़ात, गुरु शिष्य बन्धन, लम्बी-मित्रताओं, चमत्कारी जुगलबन्दियों और अच्छी-बुरी संगीत स्पर्धाओं को उजागर करता जाता है। यहाँ पं. हरिप्रसाद चौरसिया, पं. रविशंकर, उस्ताद अल्लाहरक्खा खान, ज़ाकिर हुसैन, ब्रजभूषण काबरा, जार्ज हैरीसन, यश चोपड़ा, लता मंगेशकर आदि अनेक लोकप्रिय नाम उपस्थित हैं। रियाज़ करते हुए, रिकार्डिंग करते हुए, शैली और तकनीक पर बहस करते हुए, अखिल भारतीय समारोहों का जमावड़ा और एक लम्बे दिन के बाद एक दूसरे के लिए खाना पकाना भी दर्ज है। यहाँ समयबद्ध किया गया जीवन है जिसमें व्यावसायिक उपलब्धियाँ, निजी सम्बन्ध और निर्मल ऐकान्तिक कलाकारी है। शिवकुमार शर्मा कहते हैं, ""मैं यहाँ अपने संगीत द्वारा लोगों के मन तक पहुँचने और उसे छूने के लिए आया हूँ और मैं अपना यह कर्तव्य पूरी निष्ठा से निभाऊँगा।"" "
ISBN
9788126340743
sfasdfsdfadsdsf
Write Your Own Review
You're reviewing:Santoor : Mera Jeevan Sangeet
Your Rating
Copyright © 2025 Vani Prakashan Books. All Rights Reserved.

Design & Developed by: https://octagontechs.com/