Sapnon Ka Bachpan : Rangmanch

In stock
Only %1 left
SKU
9789355182784
Rating:
0%
As low as ₹565.25 Regular Price ₹595.00
Save 5%
मैं बचपन में स्कूल के प्रत्येक नाटक में भाग लेता था। फिर कॉलेज के लिए नाटक लिखना शुरू किया और साथ-साथ अभिनय भी करता था। मैंने पाँच कहानियाँ भी लिखीं और मेरी रुचि कहानियाँ लिखने में भी हो गयी। समय-समय पर अपने बच्चों के स्कूल जाता रहा। नाट्य लेखक के रूप में स्कूलों के वार्षिक उत्सव में जूरी की हैसियत से जाने का अवसर भी कई बार मिला। जहाँ बतौर नाट्य लेखक मुझे यह समझ आया कि बाल नाटकों का मंचन करने के लिए नाटकों का संकलन होना चाहिए। सो मैंने आजादी के महापुरुषों, क्रान्तिकारियों, राष्ट्र प्रेम से जुड़ी महत्त्वपूर्ण घटनाओं, आधुनिक भारत के गौरवशाली नेतागण, आन्दोलनकारियों और हास्य नाटकों का प्रयोग कर लिखना शुरू किया। सपनों का बचपन पुस्तक इसी का प्रतिफल है। आशा ही नहीं बल्कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह बाल संस्कार के 50 रंगमंचीय नाटक स्कूलों और छात्रों को यह भूलने नहीं देंगे कि आप सबका बचपन अनमोल है जो जीवन भर आपके सपनों में आता रहेगा। अन्त में, मैं यह कहना चाहूँगा, मेरा अनुभव और विश्वास है कि जिस दिन छात्र को स्वयं पर विश्वास हो जायेगा, तभी से वह समाज और देश की सम्पत्ति बन जायेगा। जिस राष्ट्र के पास रंगमंच और कला का अकूत भण्डार होगा वह राष्ट्र सदैव प्रगति पथ पर बढता रहेगा। उच्च वर्ग के बच्चों को शुल्क देकर सुविधा है कि वो अपनी मनचाही कला को सीखने के लिए विभिन्न संस्थाओं से जुड़ कर नाटक कला और संगीत सीख लेते हैं, लेकिन मध्यम और निम्न आय वर्ग के लिए यह कलाएँ सीखना दूर की कौड़ी है। जबकि नाटक, संगीत और कलाएँ, छात्रों में एक नयी लहर का संचार करती हैं, एक नयी सुगन्ध उनके विचारों में जन्म लेने लगती है, जो छात्रों के भविष्य का मार्गदर्शन करती है। आगे चलकर यही कला विद्यार्थियों को जीविकोपार्जन में सहयोग करती है। विभिन्न स्रोतों से प्राप्त ज्ञान से ही छात्र राष्ट्रहित के श्रेष्ठ स्थान तक पहुँच सकता है। मैं शिक्षा के नीति निर्माताओं से कहना चाहूँगा कि हर विद्यालय में 'संगीत अध्यापक' की नियुक्ति अवश्य हो और प्रतिदिन संगीत, नाटक और कलाओं का छात्र अध्ययन करें। वर्तमान समय में देश में यही कलाएँ एक उद्योग का रूप ले चुकी हैं।
ISBN
9789355182784
sfasdfsdfadsdsf
Write Your Own Review
You're reviewing:Sapnon Ka Bachpan : Rangmanch
Your Rating
Copyright © 2025 Vani Prakashan Books. All Rights Reserved.

Design & Developed by: https://octagontechs.com/