Satya Darshan
सत्य दर्शन -
'सत्य-दर्शन' का अभिप्राय जीवन की विभिन्न अवस्थाओं में विभिन्न मोड़ों पर देखी-सुनी घटनाओं की कौतूहलपूर्ण प्रस्तुति से है। यों तो इन्रिअवयों के द्वारा समस्त घटनाएँ स्वानुभूत होती हैं, किन्तु अभिव्यक्ति के स्तर पर उसकी प्रस्तुति अति सीमित होती है। नित्य प्रति देखी-समझी घटनाएँ भी आँखों से ओझल हो सकती हैं। ऐसी स्थिति में उन घटनाओं को चाक्षुष बनाने के लिए विशेष साहित्यिक कला की आवश्यकता होती है, जिसे काव्य-कला कहा जाता है।
इस पुस्तक में ऐसी ही कविताओं का संग्रह है, जो भाषा, अभिव्यक्ति, बिम्ब-विधान, उपमान जैसे काव्य क्षेत्र में अलग स्वाद एवं साहित्यिक दृष्टिकोणों से पाठकों को नवीनता से अवगत करायेंगे। ये सभी कविताएँ यथार्थ के ठोस धरातल पर रची गयी हैं, इसीलिए इसमें बनावटीपन कहीं नहीं दिखेंगे। हाँ, शब्द-विन्यास एवं अर्थ-निष्पत्ति गहरे और यथार्थ की भाव-भूमि पर की गयी है, जिसे सहज ही अनुभव करेंगे। सर्वथा एक पठनीय व संग्रहणीय कृति।
Publication | Bharatiya Jnanpith |
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