Shabda, Samaya Aur Sanskriti
शब्द, समय और संस्कृति -
किसी बड़े लेखक की शक्ति और सामर्थ्य उसकी इस क्षमता पर निर्भर होती है कि वह किसी पाठक के विश्वास को विचलित कर दे। कहा जा सकता है कि इस आधुनिक प्रतिमान के आधार पर, जहाँ सिद्धान्त और कला में एक अन्तहीन संघर्ष चलता रहता है, डॉ. सीताकांत महापात्र भारत के समकालीन महान लेखकों में से एक हैं। इस संग्रह—'शब्द, समय और संस्कृति' के निबन्ध साक्षी हैं कि सीताकांत महापात्र के रचना-कर्म और चिन्तन में भारतीय मिथकीय परम्परा तथा भक्ति साहित्य, यूरोपीय आधुनिकता और उत्तर-आधुनिकतावाद तथा अपने गृह-प्रदेश उड़ीसा के ग्रामांचल, लोक-जीवन एवं लोक साहित्य का महासंगम है। 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' से सम्मानित डॉ. सीताकांत महापात्र के गम्भीर चिन्तनपरक वैचारिक निबन्धों का यह संग्रह हिन्दी के पाठकों के लिए पहली बार प्रस्तुत है।