Shrivishnusahastranaam (Part-2)
श्रीविष्णुसहस्त्रनाम खण्ड – 2 -
इस बात का उल्लेख महाभारत में मिलता है कि श्रीविष्णुसहस्रनाम, भगवान के अनन्त नामों में से अत्यन्त मधुर एक हज़ार नामों का एक परम पवित्र संकलन है। भगवान के सभी नामों में से प्रत्येक नाम की महिमा, लीला, कथा और फल अनन्त हैं।
भक्तिभाव और अध्यात्म से परिपूर्ण इस ग्रन्थ को श्रीमती उषा मुछाल जी ने अपने परम पूज्य गुरु श्री जगदीशचन्द्रजी जोशी के सानिध्य में दस वर्ष भगवतगीता एवम् तत्त्वज्ञान का अध्ययन करने के पश्चात लिखा है। इस ग्रन्थ में सरलतम भाषा का प्रयोग करते हुए श्रीविष्णुसहस्र नाम के प्रत्येक नाम की विस्तार से व्याख्या की गयी है। प्रस्तुत ग्रन्थ में रुचिरा मणियार द्वारा प्रत्येक नाम की व्याख्या हेतु चित्रकारी की गयी है जिसके कारण पुस्तक सजीव हो उठी। प्रथम खण्ड में श्लोक 14 से श्लोक 48 तक की आध्यात्मिक यात्रा के साथ पाठकों को नाम 1 से नाम 326 तक की जानकारी प्राप्त होगी। खण्ड - 2 में श्लोक 49 से श्लोक 84 तक की यात्रा के साथ पाठकों को श्रीविष्णुसहस्रनाम के नाम 327 से 670 तक की जानकारी प्राप्त होगी।
यह पुस्तक आदर्श रूप में अद्वितीय है और हस्तलिखित शैली में प्रकाशित की गयी है जो पाठकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती है।