Siddhantatthasaro (Siddhantarthsar) Of Great Poet Raidhu
सिद्धंतत्थसारो -
प्रस्तुत रचना (सिद्धान्तार्थसार) में कुल (13) अंक अर्थात् अध्याय हैं तथा 1933 गाथाएँ। इसकी भाषा समकालीन शौरसैनी प्राकृत है। महाकवि रइधू ने इस ग्रन्थ में सर्वप्रथम अरहंतों एवं संतों को नमस्कार कर ग्रन्थ-लेखन के लिए प्रेरणा देने वाले अपने आश्रयदाता खेमसिंह तथा अपने नाम अर्थात् (महाकवि रइधू) का उल्लेख करते हुए प्रस्तुत रचना सिद्धांतार्थसार के प्रणयन की प्रतिज्ञा की है तथा देव, शास्त्र एवं गुरु की व्याख्या करते हुए उनकी निःशंक बुद्धि से सेवा/आराधना करने वालों को सम्यक्त्वी कहते हुए उसके सिद्धान्तों की विस्तृत चर्चा करते हुए प्रस्तुत विस्तृत ग्रन्थ की रचना की है जो अपने विषय की सम्भवत: प्रथम सरस एवं रोचक मौलिक रचना है जो अद्यावधि अप्रकाशित है। कीट कवलित हो जाने पर भी सम्पादक/ अनुवादक ने दीर्घकालीन कठोर परिश्रम कर उसे लोकोपयोगी बनाने का प्रयत्न किया है।