Smritiyon Ki Janmpatri

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आपके हाथों में यह कथाकार-सम्पादक रवीन्द्र कालिया की बहुत वर्षों से अप्राप्य रही आयी पुस्तक 'स्मृतियों की जन्मपत्री' का पुनर्नवा संस्करण है। इस पुस्तक को लेखक की डायरी कहें, संस्मरण कहें, यात्रा - वृत्तान्त कहें या एक शब्द में 'स्मृति कोश' कह लें । दरअसल यह लेखकी और लेखन की दुनिया से बाहर 
के बीच की एक कड़ी है - इसमें न भविष्य का स्वप्न है न उपरान्त का समाधान- केवल एक वर्तमान की सतत यात्रा है जो आज इतने वर्षों बाद भी अपनी ताज़गी बरक़रार रखे हुए है। यहाँ एक खास ऐतिहासिक क्षण से जुड़े हुए लेखक के सैकड़ों स्मृति चित्र टँगे हुए हैं। इसी अर्थ में मैंने इसे लेखकी स्मृति कोश की संज्ञा दी है।

रवीन्द्र कालिया की भाषा और विट आज एक मुकम्मिल पहचान बन गये हैं। अँधेरे में रखी हुई एक अदद पंक्ति को पढ़कर भी पाठक चीन्ह जाते हैं कि यह कालिया की क़लम की कारस्तानी है। इस पुस्तक में वे इसका जमकर लुत्फ़ उठाएँगे ।

संक्षेप में, यह पुस्तक खोजकर पढ़ी जानी और सहेजकर रखी जाने वाली पुस्तक है। इसकी मार्फ़त मेरे जैसे कई पाठक, जो वर्षों से इसकी तलाश में थे, उनकी तलाश पूरी होगी।

-कुणाल सिंह

ISBN
9789350009673
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