Soot Ki Kahani
In stock
Only %1 left
SKU
9789326350532
As low as
₹304.00
Regular Price
₹320.00
Save 5%
"सूत की कहानी -
विश्व की जितनी भी सभ्यताएँ हैं प्राय सभी के प्रारम्भिक इतिहास में ऊन और कपास के सूत से बने वस्त्र का ज़िक्र कमोबेश मिलता है। इसमें भारत और मिस्र की सभ्यताएँ खास उल्लेखनीय हैं। सूती कपड़ों में इन्हें विशेष महारत हासिल रही है... ईसा की कई सदियों पूर्व भूमध्यसागर के तटीय प्रदेशों में भारत के सूती कपड़ों का यह प्रताप था कि अन्तर्राष्ट्रीय बाज़ार में उसे व्यापारिक विनिमय में सबसे विश्वसनीय माध्यम के रूप में प्रयोग किया जाता रहा।
भारतीय सूती वस्त्र मात्र कोरे और सफ़ेद ही नहीं बनते थे, उनकी रँगाई-छपाई और उनपर चित्रकारी की कला भी ईसापूर्व कई सदियों से भलीभाँति विकसित होती रहीं।
इसी इतिहास के अरण्य से कथा का सन्धान गोपाल कमल की प्रस्तुत काव्यकृति 'सूत की कहानी' का उपजीव्य है। इसमें दरअसल सूत की दिक्काल यात्रा का काव्यमय मानचित्र रचने का विरल प्रयास है। व्यक्तिगत सन्दर्भों और स्मृतियों ने रचना को नितान्त आत्मीय बना दिया है।
कवियों को संस्कृत के काव्याचार्यों ने 'निरंकुश' कहा है। वह निरंकुश ज़िद गोपाल कमल में कतई कम नहीं है। जो बातें ललित गद्य में सम्भव थीं उन्हें रचनाकार ने कविता के कलेवर में सफल बनाने का जोखिम उठाया है। और इस दुस्साहसिक जोखिम का परिणाम प्रीतिकर सिद्ध हुआ है। कृति के विषय का अनूठापन निश्चय ही उसे अनूठा बनाता है।—वीरेन्द्र कुमार बरनवाल
"
ISBN
9789326350532