Subhvartmaan
शुभवर्तमान -
मराठी के प्रसिद्ध कथाकार भारत सासणे उन लेखकों में नहीं हैं जो एक बनी बनायी लीक पर चलते रहते हैं। सासणे के अनुसार, कभी-कभी पुनरावृत्ति के कारण या आत्मानुकरण के कारण लेखक चक्रवात में फँस सकता है। सजग रह कर ऐसे चक्रवात की शुरुआत को नकारना लेखक की चुनौती है। इस चुनौती का सामना करना आसान नहीं होता। परिणामस्वरूप कुछ लेखक लिखना ही बन्द कर देते हैं तो कुछ वही वही लिखते रहते हैं। भारत सासणे ने अपने लिए तीसरी राह निकाली है। यह राह है सतत प्रयोगशील रहते हुए अभिव्यक्ति की नयी दिशाओं, नयी सम्भावनाओं की तलाश करना। ऐसे ही कुछ रचनात्मक प्रयोगों से उपजी कहानियों का संग्रह है यह 'शुभवर्तमान'। मराठी में इन कहानियों को बहुत पसन्द किया गया है। अब हिन्दी का पाठक वर्ग भी इनकी नवीनता का स्वाद ले सकेगा।
इन कहानियों का शिल्प एकदम नया और अनोखा है। कभी एक कहानी के साथ दूसरी कहानी भी चलती रहती है, तो कभी जीवन और नाटक एक-दूसरे से गुँथे हुए होते हैं। एकाध जगह पत्र शैली का भी उपयोग किया गया है। लेकिन यह भ्रम नहीं होना चाहिए कि सासणे के लिए शैली के प्रयोग ही महत्त्वपूर्ण हैं। दरअसल, उनके पास एक नया कथ्य है और इस कथ्य को तीव्रता से प्रस्तुत करने के लिए ही नयी शैली का सन्धान किया गया है। इस कथ्य के केन्द्र में यह आविष्कार है कि "सत्य की छटाएँ होती हैं। वे अलग-अलग होती हैं...इस कारण एक ही कथन सही नहीं होता, यह शुभवर्तमान मेरी समझ में आ गया है!"