Sudin

In stock
Only %1 left
SKU
9789387889415
Rating:
0%
As low as ₹565.25 Regular Price ₹595.00
Save 5%

‘नल न होता तो बात न होती। बिल न होता तो बात न होती। बस, जम्हाइयाँ। केवल वही होतीं। धूप का रंग रूखा होने लगता। दीवार पर जमे-जमे। इन्हीं रँगी हुई दीवारों पर अचानक बन्दर आने लगते । धपू-धम्! वे ऊँचे पेड़ की डगाल पर सबसे पहले दिखलाई पड़ते। पेड़ सिहर जाता। सोते हुए आदमी टूटी नींद से सिहरन ले आता है। डगाल मगर खुशी से लचकती। वे उन पर झूला झूलते। मुहल्ले की ऊँची छतों पर वे फैल जाते। सिनेमाघर की सबसे ऊँची छत पर मोटा गठीला बन्दर पेट में अपनी टाँग दाबे चारों तरफ़ सिर घुमा-घुमाकर देखता है। वह घुटनों को अपने काले हाथों से सहलाता है। कुछ बन्दर उसके आसपास गुलाटियाँ खाते। सधी लय में। वह चुपचाप उन्हें चौकन्ना देखता।

ISBN
9789387889415
sfasdfsdfadsdsf
Write Your Own Review
You're reviewing:Sudin
Your Rating
Copyright © 2025 Vani Prakashan Books. All Rights Reserved.

Design & Developed by: https://octagontechs.com/