Swami Vivekanand
स्वामी विवेकानन्द -
मानव जीवन परिवर्तनशीलता, सम्भावनाओं और विभूतियों का अक्षय भंडार है। उसमें कब कौन-सा परिवर्तन आ जाए इसको कोई नहीं बता सकता। बचपन का नटखट और उपद्रवी बालक नरेन्द्र युवा अवस्था का तार्किक नरेन्द्र स्वामी रामकृष्ण परमहंस के प्रभाव से इतना धीर, गम्भीर, वेदान्त में पारंगत दृढ़वृत संन्यासी बन जाएगा। यह कोई नहीं जानता था। जिनकी जीवनी गहन अन्तर्दृष्टि और वेदान्त वैचारिकी का अनुपम पाठ है। विवेकानन्द कहते हैं-"मानव का हृदय ईश्वर का सबसे बड़ा मन्दिर है
और इस मन्दिर में उसकी आराधना करनी होगी।" उन्होंने वही किया और गुरु से प्राप्त शिक्षा को विद्यालयों की जगह मनुष्य के हृदय में रोपते हुए, मनुष्य बनाने के लिए देश-विदेश में घूम-घूमकर प्रवचन देते-देते ही ब्रह्मलीन हुए। हिन्दी साहित्य के कथा सम्राट और जन-जीवन के चितेरे मुंशी प्रेमचन्द ने सरल और सिद्धहस्त लेखनी से भारत के महापुरुष स्वामी विवेकानन्द का जीवन चरित्र प्रस्तुत किया।