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Vani Prakashan
Teesari Parampara Ki Khoj
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Teesari Parampara Ki Khoj
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यह पुस्तक, हिन्दी साहित्य के उपलब्ध 'इतिहासों' की अब तक न देखी गयी ‘सीमाओं को उजागर करते हुए, हिन्दी साहित्य के इतिहास के पुनर्लेखन का एक नया दरवाज़ा खोलती है! उत्तर-आधुनिक नज़रिए, उत्तर-संरचनावादी विखण्डन-पद्धति, मिशेल फूको की इतिहास-लेखन-पद्धति, ग्रीनब्लाट और हैडन व्हाइट आदि के विचारों से विकसित 'नव्य इतिहासशास्त्र' ने इतिहास-लेखन के क्षेत्र में आज एक भारी क्रान्ति पैदा कर दी है। इतिहास हमेशा 'झगड़े की जगह' हुआ करता है। उपलब्ध इतिहास भी झगड़े की जड़ बने हुए हैं। जिस बीमारी से पुराने इतिहास ग्रस्त थे उसी से इतिहास के नये दावेदार ग्रस्त लगते हैं। एक अतीत की ‘फाल्ट लाइनों को छिपाके चलते हैं तो दूसरे उनको पलटकर इतिहास का हिसाब चुकता करना चाहते हैं।
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Teesari Parampara Ki Khoj
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