Teesri Tali Kinnar Samaj
तीसरी ताली' प्रदीप सौरभ का महत्त्वपूर्ण उपन्यास है। किन्नर समाज की समस्याओं से दो-चार होते हुए इसने जिस तरह से उनकी समस्याओं को उठाया था, इस कारण यह बहुत चर्चित हुआ था। इसी उपन्यास पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्रा पार्वती कुमारी ने अपनी एम. फिल. का शोध लिखा है। पाँच अध्यायों में बँटी इस पुस्तक में पहले दो अध्यायों में भारतीय समाज में किन्नरों की स्थिति, उनका वर्ण विचारधारा, धर्म, किन्नरों पर लिखी गयी दस हिन्दी रचनाओं-उपन्यास, कविताओं, कहानियों को शामिल किया गया है। तीसरे अध्याय में किन्नरों की विशेषता और उनकी उपलब्धियों तथा इनसे जुड़े कई एन.जी. ओ. का उल्लेख किया गया है। चौथे अध्याय को तीसरी ताली में किन्नर समाज को सामने रखकर लिखा गया है। कैसे इस उपन्यास में किन्नरों से जुड़ी तमाम मानवीय भावनाओं, उनके अन्तर्विरोधों को रेखांकित किया गया है, इसका मूल्यांकन है। पाँचवें अध्याय में तीसरी ताली की कहानी और किन्नर समाज की भाषा का अध्ययन है। साथ ही कुछ किन्नरों और लेखक प्रदीप सौरभ का साक्षात्कार भी है। इसमें लेखक ने महत्त्वपूर्ण बात कही है कि कानून से ज़्यादा फ़र्क नहीं पड़ता, जब तक समाज की सोच किन्नरों के प्रति न बदले। पहले समाज इन्हें मनुष्य तो माने। पार्वती कुमारी ने प्रो. देवेन्द्र कुमार चौबे के निर्देशन में महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। उम्मीद है इसे पढ़कर हम किन्नरों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण ज़रूर अपनाएँगे।
सुप्रसिद्ध कथाकार
क्षमा शर्मा