Trandralok ka Praharee
In stock
Only %1 left
SKU
9789326350259
As low as
₹152.00
Regular Price
₹160.00
Save 5%
"तन्द्रालोक का प्रहरी -
इतिहास में धर्म के नाम पर बहुत अन्याय और नृशंसता होने के बावजूद धर्म की भित्ति या मर्म जिस तरह से असत्य नहीं है, वैसे ही टोना-टोटका के नाम से होने वाली प्रवंचना और कुसंस्कार से समाज के पीड़ित होने के बावजूद इन सबका उत्स भी क्षणिक नहीं है। हमारे स्थूल इन्द्रियानुभूत जगत के बाहर (या इसके साथ ओतप्रोत रहकर) चेतना के अनेक स्तर, अनेक वास्तविकताएँ हैं। यहाँ यह बताना आवश्यक है कि ये सब आधिभौतिक (supernatural) हैं पर इन सबके साथ आध्यात्मिकता का कोई सम्बन्ध नहीं।
'तन्द्रालोक का प्रहरी' में लेखक उक्त दो विपरीत धुरियों के बीच तनी रस्सी पर किसी नट की भाँति सन्तुलन दिखाता है। यहाँ न पुराने का तिरस्कार है और न नये की अवांछित सिफ़ारिश।
मनोरोग चिकित्सा के सन्धान से पूर्व ओझा-गुनियों की तीन पीढ़ियों का दस्तावेज़ी इतिहास है——'तन्द्रालोक का प्रहरी'। यह अनुवाद प्रवहमान और ओड़िया का स्वाद अक्षुण्ण रखते हुए भी हिन्दी की मूल कृति का सा आनन्द देता है।
"
ISBN
9789326350259