Uttar Pradesh Ka Swatantrata Sangram : Amethi
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"अमेठी जनपद में स्वाधीनता आंदोलन और सेनानियों के बारे में तैयार की गई इस पुस्तक में स्वाधीनता आंदोलन के सभी पहलुओं को समेटने की कोशिश की गई है। इस पुस्तक में सभी आंदोलनों और विद्रोहों के राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के साथ अमेठी जनपद के लोगों की भागीदारी और उनकी कुर्बानियों के इतिहास को विभिन्न स्रोतों से जानकारी इकट्ठा कर लिखा गया है। पुस्तक में जनपद के महत्त्व और उसकी भौगोलिक स्थितियों को प्रस्तुत किया गया है। 1857 के स्वतंत्रता संघर्ष के प्रथम उद्घोष और उसके साथ-साथ अमेठी जनपद के निवासियों की भूमिका को उजागर करने की कोशिश की गई है। इसी के साथ 1857 के स्वतंत्रता संघर्ष को लेकर दुनिया भर के इतिहासकारों के विभिन्न नज़रिए का विश्लेषण भी किया गया है। पुस्तक में 1857 के बाद और 1947 तक विभिन्न स्वतंत्रता आंदोलनों और विद्रोहों में अमेठी जनपद के योगदान की चर्चा के साथ उनकी विभिन्न गतिविधियों को सामने लाने की कोशिश की गई है। उसके बाद खिलाफत आंदोलन, जलियाँवाला बाग कांड, असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन के महत्त्व को उजागर करते हुए अमेठी जनपद में इन आंदोलनों में वहाँ के निवासियों की भूमिका को सामने लाने की कोशिश की गई है। स्वतंत्रता की रक्षा करने वाले विशिष्ट जनों की भूमिका के साथ कारगिल सहित विभिन्न युद्धों में उनके त्याग और हिम्मत की कहानियों को सामने लाया गया है। पुस्तक को अधिक प्रामाणिक बनाने के लिए चित्रों को भी इसमें संकलित किया गया है।
★★★
अमेठी जनपद के इतिहास की पड़ताल करना, पौराणिक भारत की तीर्थयात्रा करने जैसा है। इस पूरे जनपद में हर ओर देवी-देवताओं, साधु-संतों और पीर-फ़क़ीरों के पुण्य स्थल हैं। अनेक किंवदंतियाँ हैं, जनश्रुतियाँ हैं और चमत्कारों के किस्से हैं। स्वतंत्रता संग्राम में भी अमेठी जनपद की भूमिका गौरवान्वित करती है। अमेठी जनपद ने अपने स्वाभिमान एवं बलिदान की परंपराओं को आने वाली पीढ़ियों में संस्कारित किया है, इसका प्रमाण यह है कि देश की स्वाधीनता के बाद भी अमेठी के अनेक सपूतों ने देश की सीमा पर अपने प्राण न्यौछावर किए हैं।
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ISBN
9788190538695