Uttar Pradesh ka Swatantrata Sangram : Bareilly
प्रस्तुत पुस्तक में जिस विषय को अपने में समेटा गया है वह न केवल अछूता है, वरन् राजनीतिक घटनाक्रमों का ऐसा ऐतिहासिक दस्तावेज़ है, जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में बरेली जनपद के योगदान को उजागर करने के साथ, इस अंचल की उस राजनीतिक संचेतना के उन बंद पृष्ठों को भी खोलता है, जिन पर विभिन्न धर्मों, जातियों और वर्गों के व्यक्तियों ने आज़ादी के प्रति अपनी दीवानगी की अमिट छाप अंकित की है, दूसरे शब्दों में, यह शोध उन जीवंत घटनाओं को सामने रखता है जिसमें बरेली जनपद के ग्रामीण और शहरी, शिक्षित और अशिक्षित, गरीब और अमीर से लेकर साधारण गृहिणियाँ तक विदेशी हुकूमत के विरुद्ध चलाए गए अहिंसात्मक राष्ट्रीय मुक्ति संग्राम में एक साथ मिल कर मैदान में उतर आए थे तथा 'अंग्रेजो भारत छोड़ो' के अंतिम संग्राम तक अपने अदम्य साहस का परिचय देने में पीछे नहीं रहे ।
निश्चित ही, इतने महत्त्वपूर्ण विषय पर शोध तैयार करना सरल कार्य नहीं है। सन् 1885 से लेकर सन् 1947 के दौरान भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में बरेली जनपद के योगदान की क्रमबद्ध तलाश, एक वस्तुतः ललक थी, जो इस शोध की अंतःप्रेरणा बनी रही। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेकर अपने प्राणों की बाजी लगा देने वाले अहिंसक रण-बाँकुरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान का भाव भी इसमें सम्मिलित था और इसी से उत्प्रेरित होकर मैंने जनपद के राजनीतिक घटनाक्रमों के इतिहास पर कुछ करने का संकल्प किया हो, ऐसा भी समझा जा सकता है।