Valmiki Ki Paryavaran Chetna-3 Jeev Jantu
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9789389915815
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जब हम अपने किसी मित्र, सम्बन्धी या सुब्द से मिलते हैं तो सभी का हालचाल पूछते हैं। किसी से मिलकर हम उसके बच्चों, परिवार आदि की ही कुशल पूछते हैं। हम सबने कभी सोचा ही नहीं कि किसी की हाल चाल पूछते समय उस क्षेत्र के वनों, नदियों, तालाबों या वन्यजीवों का समाचार जानने की चेष्टा करें। ऐसा इसलिए है कि अब हम वनों, नदियों, तालाबों या वन्यजीवों को परिवार का अंग मानते ही नहीं। पहले ऐसा नहीं था। उस समय लोग एक दूसरे का समाचार पूछते समय वनों, बागों, जलस्रोतों आदि की भी कुशलता जानना चाहते थे। इसका कारण यह था कि उस समय लोग प्रकृति के विभिन्न अवयवों को परिवार की सीमा के अन्तर्गत ही मानते थे।
ISBN
9789389915815