ऐनीमेशन की तकनीक और शब्दावली के प्रणेता, ऐनीमेशन के बादशाह वॉल्ट डिज़्नी का बचपन बहुत संघर्षमय बाद में भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। मगर वह कभी अपने लक्ष्य से डिगा नहीं। जो ठान लेता वह करके रहता। उसने अपनी मेहनत लगन से एक साम्राज्य खड़ा किया। दर्जनों ऐनीमेशन कार्टून फिल्में, डिज़्नी स्टूडियो, डिज़्नीलैंड, डिज़्नी आर्ट स्कूल, एक्सपेरिमेंटल प्रोटोटाइप सिटी ऑफ टुमारो, वेड एंटरप्राइजेज आदि उसकी उद्यमिता का प्रतिफल हैं।
वॉल्ट डिज़्नी ने गुणवत्ता (क्वालिटी) और संख्या (क्वांटिटी) दोनों उत्पन्न कीं। वह एक विजनरी-दैवी लीडर था। लोगों की प्रतिभा को पहचानने, उन्हें अपने यहाँ लाकर प्रशिक्षित करने और उनसे सर्वोत्कृष्ट कार्य करवा पाने के गुण उसे एक विशिष्ट लीडर बनाते हैं। अपने यहाँ काम करने वालों की सुख-सुविधा का ध्यान रखना, उन्हें काम के बेहतर अवसर एवं वातावरण प्रदान करना उसके स्वभाव का हिस्सा थे। टीम वर्क की कला में दक्ष वाल्ट ताजिन्दगी युवकोचित उत्साह से अपने कार्य में जुटा रहा।
"विजय शर्मा -
जन्म: 2 नवम्बर, 1952, गोरखपुर (उ.प्र.)।
शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी), एम.ए. (एज्यूकेशन), प्रवासी साहित्य पर शोध।
प्रकाशित कृतियाँ: 'अपनी धरती, अपना आकाश : नोबेल के मंच से', 'लौह शिकारी' (अनुवाद) तथा 'वॉल्ट डिज्नी : ऐनीमेशन का बादशाह'।
राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय साहित्यिक मुद्रित तथा ई-पत्रिकाओं में आलेख, पुस्तक-फ़िल्म समीक्षा अनुवाद प्रकाशित। आकाशवाणी से पुस्तक समीक्षा, कहानी तथा वार्ता प्रसारित। राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय सेमीनार में शोध-पत्र पाठन, वर्कशॉप-सेमीनार संचालन। 'सहयोग' बहुभाषीय साहित्यिक संस्था की पूर्व अध्यक्ष।
सम्मान : इस्पात मेल विजया साहित्य सम्मान, 2002 I
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