Yuva Pidhi Ki Prem Kahaniyan
युवा पीढ़ी की प्रेम कहानियाँ -
प्रेम का अस्तित्व हर युग में रहा है। हर पीढ़ी इस बात को स्वीकार करती आयी है कि प्रेम, अधिकार और सहभागिता, ये सभी तत्व प्रेम को अर्थ देते हैं। नयी पीढ़ी प्रेम के बारे में क्या सोचती है, यह जानना और समझना काफ़ी दिलचस्प होगा। इस संकलन की कई कहानियों को पढ़कर लगता है कि जीवन के अन्य महत्वपूर्ण उपक्रम जैसे कैरियर आदि प्रेम में टकराव भी निर्मित कर देते हैं। महानगरों में प्रेम-विवाहों का प्रचलन भी बढ़ रहा है और 'लिव इन रिलेशनशिप' के प्रति भी युवाओं का रुझान बढ़ा है।
प्रस्तुत पुस्तक में उन्नीस युवा रचनाकारों (पंकज मित्र, महुआ माजी, अनुज, मो. आरिफ़, रवि बुले, राजीव कुमार, गौरव सोलंकी, राकेश मिश्र, मनोज कुमार पांडेय, कुणाल सिंह, विमल चन्द्र पांडेय, राजुला शाह, पंकज सुबीर, पराग कुमार मांदले, मनीषा कुलश्रेष्ठ, शर्मिला बोहरा जालान, राहुल सिंह, प्रियदर्शन मालवीय, ओम प्रकाश तिवारी) की प्रेम कहानियाँ हैं। इन सभी का प्रेम के प्रति जो नज़रिया है उसमें कहीं चुहल है तो कहीं प्रेम के प्रति एक कॉमिक भाव, कहीं मैत्री और कहीं फ्लर्ट मात्र। इस संकलन का सम्पादन रवीन्द्र कालिया द्वारा किया गया है।
Publication | Bharatiya Jnanpith |
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