Gandhi Ki Ahinsa Drishti

As low as ₹895.00
In stock
Only %1 left
SKU
9789389563559
अहिंसा का सामान्य अर्थ है-'हिंसा न करना' । लेकिन व्यापक अर्थों में किसी भी प्राणी को मन, वचन, कर्म और वाणी से नुकसान न पहुँचाना ही अहिंसा है। मनुष्य को एकमात्र वस्तु जो पशु से भिन्न करती है वह है अहिंसा। व्यक्ति हिंसक है तो फिर वह पशुवत् है। मानव होने के लिए पहली शर्त है अहिंसा का भाव होना। महात्मा बुद्ध, महावीर, महात्मा गाँधी जैसे चिन्तकों ने अहिंसा को परम धर्म माना है। भारतीय दर्शन में कहा गया है कि अहिंसा की साधना से बैर भाव का लोप हो जाता है। बैर भाव के निकल जाने से काम, क्रोध आदि वृत्तियों का निरोध होता है। मन में शान्ति और आनन्द का भाव आता है इसलिए सभी को मित्रवत समझने की दृष्टि बढ़ जाती है, सही और ग़लत में भेद करने की क्षमता बढ़ जाती है। यह सब कुछ मन में शान्ति लाता है। विश्व में अहिंसा को जीवन और समाज के सभी क्षेत्रों में स्थापित करना एक महत्त्वपूर्ण चुनौती बन गयी है, इस चुनौती को गाँधी ने स्वीकार किया और उन्होंने अहिंसक साधनों से सत्य की सिद्धि करने का प्रयास किया। व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय क्षितिज पर विकराल होती समस्याओं का समाधान अहिंसा में निहित है जो आत्म कष्ट सहन करने तथा प्रेम को व्यापक करने से ही सम्भव हो सकता है। सत्याग्रह की सैद्धान्तिक व्याख्या में इतिहास के तथ्य तो आते ही हैं, परम्परा और धार्मिक सन्दर्भ से भी हम दृष्टि पाते हैं। गाँधी की अनुपम देन यही थी कि उन्होंने व्यक्तिगत आचार नियमों को सामाजिक और सामूहिक प्रयोग का विषय बनाया। उन्होंने स्वयं कहा है कि वे कोई नये सिद्धान्त का आविष्कार नहीं कर रहे हैं, उन्होंने जो कुछ भी दिया वह विभिन्न स्रोतों में उपलब्ध है और विभिन्न व्यक्तियों ने उसका प्रयोग भी किया है। गाँधी का अहिंसा सम्बन्धी सिद्धान्त प्रयोग धर्म पर आधारित है। जहाँ एक ओर वे जीवहत्या के सम्बन्ध में व्यावहारिक व्यक्ति की तरह आलोचनाओं का प्रतिउत्तर देते हुए अडिग दिखते हैं वहीं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर वीरता और शौर्य का उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए चेकोस्लोवाकिया को अहिंसक प्रतिकार के लिए उत्प्रेरित भी करते हैं। व्यवहारकर्ता के रूप में व्यक्तिगत जीवन में शुद्धता का आग्रह रखते हुए जहाँ एक ओर वे एकादश व्रत का अनुष्ठान करते हैं वहीं दूसरी ओर अन्याय के प्रतिकार के लिए सत्याग्रह जैसे अनुपम अस्त्र भी प्रदान करते हैं। ‘गाँधी की अहिंसा दृष्टि' पुस्तक में गाँधी के अहिंसा से सम्बन्धित विचारों को मूल रूप में रखा गया है। आज परिवार से लेकर विश्व तक हिंसा की प्रवृत्ति बढ़ी है। वैचारिक असहिष्णुता ने लोकतान्त्रिक मूल्यों को तिरोहित कर दिया है। वर्तमान सभ्यता के समक्ष जो त्रासदी है, सारी मुश्किल विकल्प गाँधी विचार में समाहित है। हम आशा करते हैं कि यह पुस्तक वैचारिक अहिंसा को पुष्ट कर अहिंसात्मक समाज रचना में विश्वास करने वाले सुधी पाठकों को तो दिशा देगी ही और हिंसा पथ में भटके लोगों में भी समझदारी विकसित कर सकेगी... - डॉ. सच्चिदानन्द जोशी सदस्य सचिव, इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र नयी दिल्ली

Reviews

Write Your Own Review
You're reviewing:Gandhi Ki Ahinsa Drishti
Your Rating
Copyright © 2025 Vani Prakashan Books. All Rights Reserved.

Design & Developed by: https://octagontechs.com/