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Bharatiya Bhashaon Mein Ramkatha (Punjabi Bhasha)

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भारतीय भाषाओं में रामकथा - पंजाबी भाषा - 
पंजाब में पन्द्रहवीं शताब्दी से लेकर उन्नीसवीं शताब्दी तक प्रचुर मात्रा में हिन्दी साहित्य रचा गया। मध्यकाल में यहाँ पर अधिकतर ब्रज भाषा और गुरुमुखी लिपि में साहित्य रचा गया, असंख्य काव्य-ग्रन्थ अनूदित और लिप्यन्तरित हुए। पंजाब प्रान्तीय गुरुमुखी लिपि में उपलब्ध हिन्दी भक्ति साहित्य के अन्तर्गत रामकाव्य की एक लम्बी परम्परा मिलती है।
वास्तव में रामचरित का यशोगान करने का मूल उद्देश्य आदर्श जीवन के सर्वांग का प्रदर्शन एवं जनता में नीति-विवेक, सही जीवन-मूल्यों तथा स्वस्थ परम्पराओं का प्रचार-प्रसार करने की धारणा रही है। पंजाब अथवा पंजाबेतर कवियों ने जब-जब भी राम के चरित्र को काव्य-विषय बनाया, उनकी दृष्टि भगवान की लोकमंगलकारी रक्षक शक्तियों की ओर ही रही।
गुरुमुखी लिपि में रामकाव्य की समृद्ध एवं सम्पुष्ट परम्परा मिलती है। गुरु ग्रन्थ साहिब में राम के निर्गुण स्वरूप का चित्रण तो है ही, साथ ही राम-नाम की महिमा का गायन भी है। तदनन्तर राम के अवतारी रूप, राम के योद्धा रूप, राम के दुष्ट-संहारक, सन्त-उद्धारक एवं लोकरंजक रूप का वर्णन एवं चित्रण पंजाब के कवियों की काव्य-शोभा है। राम के भव्य स्वरूप के माध्यम से पंजाब के कवियों ने जनमानस को समग्रतः प्रेरित एवं प्रभावित किया है।

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डॉ. हरमहेन्द्र सिंह बेदी (Dr. Harmahendra Singh Bedi)

"डॉ. हरमहेन्द्र सिंह बेदी - जन्म : 12 मार्च, 1950 को मुकेरियाँ होशियारपुर में। शिक्षा : बी.ए. ऑनर्स (अर्थशास्त्र), एम.ए. (हिन्दी ,पंजाबी), पीएच.डी., डी.लिट्. हिन्दी एवं पंजाबी साहित्य में विशिष्ट स्थान रखने वाले डॉ. हरमहेन्द्र सिंह बेदी के भारत की विभिन्न पत्रिकाओं में 200 से अधिक शोध-लेख प्रकाशित हो चुके हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रदत्त शोध परियोजनाओं में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। इनकी अब तक आलोचना की आठ पुस्तकें, चार कविता संग्रह, उन्नीस सम्पादित पुस्तकें, पाँच अनूदित पुस्तकें तथा तीन पंजाबी भाषा के ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं। पुरस्कार एवं सम्मान : शिरोमणि हिन्दी साहित्यकार पंजाब सरकार (2001), भारत के राष्ट्रपति द्वारा हिन्दी सेवी पुरस्कार से सम्मानित, उत्तर प्रदेश हिन्दी साहित्य परिषद द्वारा 'कवि रत्न' की उपाधि, पंजाब हिन्दी साहित्य अकादमी पुरस्कार (2003), पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड सम्मान (2014) जैसे प्रतिष्ठित अनेकानेक पुरस्कारों व सम्मानों से सम्मानित। सम्प्रति सदस्य भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसन्धान परिषद् (आईसीएसएसआर), मानव संसाधन विकास मन्त्रालय, भारत सरकार, सदस्य राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षा समिति, भारत सरकार, राजस्थान एवं हरियाणा विश्वविद्यालय में विज़िटिंग फ़ेलो, पूर्व प्रोफ़ेसर एवं अध्यक्ष तथा दीन भाषा संकाय, हिन्दी विभाग, गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर (पंजाब)। "

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