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Vani Prakashan

जरा समझो

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दलितों पर अत्याचार और दलित संहार की घटनाएँ देशव्यापी रूप में लगातार घट रही हैं, मगर अभी भी उन्हें न्याय नहीं मिल सका है। इसके पीछे विषमतावादी सवर्ण मानसिकता का अहंकार, कपट और कुटिलता है। यही कारण है कि शताब्दी बीत गयी है, समाज सामाजिक आन्दोलन और समाज परिवर्तन के प्रयत्नों में, मगर अभी भी समाज में वर्णवाद, जातिवाद मौजूद है। अभी भी वंशानुगत जाति परम्परा है और उसी तरह वंशानुगत रोज़गार परम्परा बनाये रखने की साज़िश है। शोषण अत्याचार का शिकार व्यक्ति ही कष्टों को भोगता है। झूठे बहकावे में भुलाकर उन्हें अधिक गुमराह किया जाता है। वर्णवाद, जातिवाद और वंशवाद की नीति समाज में समता नहीं आने देती।

कोंकणस्थ और देशज के नाम पर ब्राह्मण वर्ग भी ऊँच-नीच की भावना से ग्रसित है। यही भावना दलितों में भी जाति और उपजातियों के नाम पर मौजूद है। मनुवाद के इस अनुकरण में उलझकर वे अपने प्रगति-परिवर्तन को समझ नहीं पाते हैं। शिक्षा, संघर्ष और संगठन की ताक़त से वंचित रहकर, पीढ़ी-दर-पीढ़ी शोषण का शिकार बने रहते हैं। ऐसे में खेमचन्द जैसे पात्रों के सपने केवल दिवास्वप्न देखने से पूर्ण नहीं होंगे। इसके लिए उन्हें संघर्ष करना होगा, अन्याय का डटकर मुक़ाबला करना होगा और अपने समता सम्मान के अधिकारों को स्वयं पाना होगा।

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9789352290420
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डॉ. सुशीला टाकभौरे (Dr. Sushila Takbhore)

"सुशीला टाकभीरे जन्म : 4 मार्च 1954 बानापुरा (सिवनी मालवा), जि. होशंगाबाद (म.प्र)। शिक्षा : एम. ए. (हिन्दी साहित्य), एम. ए. (अम्बेडकर विचारधारा), बी. एड., पीएच.डी. (हिन्दी साहित्य)। प्रकाशित कृतियाँ : स्वाति बूँद और खारे मोती, यह तुम भी जानो, तुमने उसे कब पहचाना (काव्य संग्रह); हिन्दी साहित्य के इतिहास में नारी, भारतीय नारी: समाज और साहित्य के ऐतिहासिक सन्दर्भों में (विवरण); टूटता वहम, अनुभूति के घेरे, संघर्ष, जरा समझो (कहानी संग्रह); हमारे हिस्से का सूरज (कविता संग्रह); रंग और व्यंग्य, नंगा सत्य (नाटक); शिकंजे का दर्द (आत्मकथा); हाशिए का विमर्श (लेख संग्रह); नीला आकाश, तुम्हें बदलना ही होगा (उपन्यास); मेरे साक्षात्कार; दलित साहित्य : एक आलोचना दृष्टि; मेरा पत्र संचयन (प्रकाशनाधीन)। साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में सृजनात्मक गतिविधियाँ, दलित समाज और नारी की स्थिति पर परिवर्तनवादी आन्दोलन में वैचारिक सक्रियता, आकाशवाणी से समय-समय पर परिचर्चाएँ प्रसारित, म.प्र. के मुख्यमन्त्री श्री दिग्विजय सिंह के हस्ते 'म.प्र. दलित साहित्य अकादमी विशिष्ट सेवा सम्मान' एवं पुरस्कार, रमणिका फाउण्डेशन से 'सावित्री बाई फुले' सम्मान एवं पुरस्कार, महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी की ओर से डॉ. उषा मेहता हिन्दी सेवा सम्मान एवं पुरस्कार। सम्पर्क : शील-2, गोपालनगर, तीसरा बस स्टॉप, नागपुर-22 (महाराष्ट्र) "

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