Jannayak Banarasi Dass Gupt
जननायक : बनारसी दास गुप्त -
श्री बनारसी दास जी गुप्त इस देश के उन महान नेताओं में से एक हैं जिन्होंने समाज को संगठित करने तथा लोगों के कल्याण और उत्थान के लिए दृढ़ता के साथ कार्य किया। उन्होंने राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता को मज़बूत बनाते हुए हरियाणा प्रदेश की प्रगति में अपना बहुमूल्य योगदान दिया और प्रदेश को प्रगति की नयी बुलन्दियों तक पहुँचाया। वे एक सरल और उच्च आदर्शों पर जीवन व्यतीत करने वाले नेता थे। उनके सिद्धान्त आज भी नवयुवकों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
-भूपेन्द्र सिंह हुड्डा
अन्तिम पृष्ठ आवरण -
एक साधारण परिवार में जन्मे समाज सुधारक श्री बनारसी दास गुप्त ने सदैव जीवन के सभी क्षेत्रों में अपने विराट व्यक्तित्व की अमिट छाप छोड़ी है। श्री गुप्त प्रमुख स्वतन्त्रता सेनानी के रूप में अंग्रेज़ शासकों और देशी रियासतों की दोहरी गुलामी से जूझते रहे और उन्होंने भिन्न-भिन्न जेलों में कठोर शारीरिक और मानसिक यातनाएँ सहन कीं। आज़ादी के बाद भी बनारसी दास जी का संघर्ष समाप्त नहीं हुआ उन्होंने पुनः जनशक्ति संगठित करके देश को एकता के सूत्र में बाँधने के जटिल अभियान में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
हरियाणा को अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में लाने और फिर उसे राजनीतिक स्थायित्व देने में उनकी महती भूमिका रही है। थोड़े-से वर्षों में ही हरियाणा समृद्ध राज्यों की श्रेणी में दूसरे स्थान पर आ गया। इस चमत्कार का श्रेय हरियाणा के जिन दो-तीन दिग्गज नेताओं को जाता है, उनमें श्री बनारसी दास गुप्त भी हैं।
प्रस्तुत जीवनी बनारसी दास जी के घटनाप्रधान जीवन की एक समग्र झाँकी है। पुस्तक के अन्त में दिया गया उनका एक रोचक आत्मकथ्य इस पुस्तक के महत्व को और भी बढ़ा देता है।
-किताब की भूमिका से
Publication | Vani Prakashan |
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