Jina Kitni Baar

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9789388434393
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"तेरा तो ध्यान हमेशा से ही आशंकित रहता है और इसीलिए अशुभ ही सोचती है। अब तो बदल...यहाँ आये भी तुझे पाँच साल होने को आये।" । "अच्छा मेरी अम्मा...तू ही बता...?" 'मेरा मन कहता है- हो ना हो... शोभित सर और मैम ही होगी...और हमारी दीदियाँ भी हो सकती हैं। मि. जॉनसन और मि. शर्मा तो पता नहीं कब तक लौटें-। तू तैयार हो जा। अभी दस मिनट में चलते हैं। अभी तो मेड को भी रोक सकते हैं...ओ.के. क्विक..." आस्था बहुत उत्साहित थी।

ISBN
9789388434393
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