Miss Samuel : Ek Yuhoodi Gatha
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"मिस सैम्युएल : एक यहूदी गाथा -
यह किंवदन्ती है कि लगभग दो हज़ीर वर्ष पूर्व यहूदियों से भरा एक जहाज़ भारत के कोंकन तट पर लगा था और कुछ यहूदियों ने भारत की धरती पर पैर रखे थे। यह एक नयीं अल्पसंख्यक जाति का हमारी बहु सांस्कृतिक धारा में शामिल होने का प्रयास था जो आज भी जारी है। यह उपन्यास इस प्रयास की विडम्बनाओं का आख्यान है।
हमारे समाज में यहूदियों की नियति दारुण रही क्योंकि यह जाति अति अल्पसंख्यक थी और लोकतन्त्र में भी कोई ताक़त नहीं बन सकी। मिस सैम्युएल के परिवार को कथा के माध्यम से इस त्रासदी को उकेरने की सफल चेष्टा यह उपन्यास करता है। जिसमें मिस सैम्युएल ही अकेली नहीं है, बल्कि उसके पिता और भाई भी अकेले हैं—बॉबी सबसे ज़्यादा अकेला है क्योंकि वह भारतीय यहूदियों को भारतीय समाज का अभिन्न हिस्सा मानता है। पिता इज़राइल लौटने में ही अपनी मुक्ति का स्वप्न देखते हुए मरते हैं। इस परिवार के सदस्य आपस में अजनबी है और बाहर समाज में भी। वे दुहरा अकेलापन झेलते हैं। मिस सैम्युएल का वृद्धाश्रम का अकेलापन इस बहु-आयामी त्रासदी का रूपक हो जाता है।
शीला रोहेकर स्वयं यहूदी हैं। वे उपन्यास के अनूठे शिल्प में अपनी गहरी, प्रामाणिक अन्तर्दृष्टि के साथ भारतीय समाज में यहूदियों की उस नियति को रेखांकित करती हैं जिसमें यह जाति अपनी जगह खोजती हुई स्वयं खो गयी है।
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sfasdfsdfadsdsf
9789326351072