Nadi-Rang Jaisi Ladki

As low as ₹499.00
In stock
Only %1 left
SKU
9789355180490
"नदी-रंग जैसी लड़की एस. आर. हरनोट का दूसरा उपन्यास है। पहला उपन्यास हिडिम्ब हिमाचल प्रदेश के जिस अछूते लेकिन लोकख्यात विषय पर लिखा गया था, उसने अपने शिल्प और भाषाई प्रयोग के कारण प्रसिद्धि के नये आयाम छुए थे । हरनोट हिन्दी के विरले कथाकार हैं, जिनके पास हिमाचली जीवन की अछूती और अनूठी कथाओं का भरा-पूरा ख़ज़ाना है। पहाड़ में जीवन पहाड़ जैसा कठोर और बड़ा होता है, उसकी सुन्दरता केवल दूर से दिखाई देती है, निकट आने पर अनेक प्रकार के दुख और अभाव दिखाई देते हैं। दुष्कर और अभावभरे जीवन के तमाम क़िस्से हरनोट की लेखनी से जीवन्त हो उठते हैं। नदी-रंग जैसी लड़की उपन्यास की सुनमा दादी का जीवन सामान्य नहीं है, उसे असामान्य बनाने में हमारे तथाकथित विकास की बड़ी नकारात्मक और अमानवीय भूमिका रही है। पर सुनमा दादी उन सब लोगों से लड़ती है जो अपने ही अंचल, नदियों और लोगों के विरोध में अमानवीय और क्रूर व्यवस्था का साथ देते हैं। पहाड़ी जीवन की सुन्दरता तो उसकी नदियों से हैं, जो जीवन के साथ प्रकृति से भी अटूट नाता जोड़ती हैं। विकास के नाम पर अब नदियों में बड़े-बड़े बाँध बाँधे जा रहे हैं, उनके पानी को दूसरे प्रदेशों में भेजा जा रहा है लेकिन जिस हिमाचल कीसुन्दरता के मूल में वे नदियाँ हैं, उन्हें उजाड़कर वीरान किया जा रहा है। बंजर होती ज़मीन, सूखती नदियों और उजड़ते गाँवों की दुखद कथा को हरनोट ने मन की भीगी स्याही से लिखा है, वह द्रवित करता है। एक ओर हरनोट पहाड़ के अपार दुखों के साथ खड़े होकर सुनमा देई की ताकत बनते हैं तो दूसरी ओर व्यवस्था के अमानवीय और क्रूर चेहरे को दिखाते हैं तथा तीसरी ओर शतद्रु नदी को प्रतीकात्मक रूप में सुन्दर लड़की बनाकर ऐसी फैंटेसी रचते हैं जो ऐसी दुनिया की कामना करती है 'जहाँ न कोई सरकारी आदमी हो, और न कम्पनी का कोई मालिक। बस हम और तुम हों और हमारी मछलियाँ हों और लोकगीत गाते किसान और मज़दूर हों।' इस सुन्दर दुनिया को बचाये रखने के लिए एस. आर. हरनोट का यह उपन्यास न केवल पठनीय है अपितु अपने पाठकों को ऐसी दुनिया में ले जाता है, जहाँ सुनमा दादी का संघर्ष, जिजीविषा और मानवीय पक्ष साकार होकर हर अन्याय से लड़ने का साहस देते हैं। हिमाचल के लोक से गहरे जुड़े हरनोट जिस प्रकार सहज होकर लोक में पैठते हैं, उससे वे अपने पाठकों को हर बार चमत्कृत करते हैं। - प्रो. सूरज पालीवाल"

Reviews

Write Your Own Review
You're reviewing:Nadi-Rang Jaisi Ladki
Your Rating
Copyright © 2025 Vani Prakashan Books. All Rights Reserved.

Design & Developed by: https://octagontechs.com/