Nayee Umeed Ki Duniya
हिन्दी के सुविख्यात एवं चर्चित ग़ज़लकार माधव कौशिक की ग़ज़लों में बड़ी तेज़ी से परिवर्तित होने वाले समय तथा समाज की प्रत्येक विसंगति तथा विद्रूपता का सूक्ष्म तथा विश्वसनीय अंकन हुआ है। उपभोक्तावादी अपसंस्कृति जनित तमाम संकटपूर्ण स्थितियों तथा मनःस्थितियों का विवेचन व विश्लेषण करते हुए भी रचनाकार मानवीय मूल्यों के प्रति अपनी अटूट आस्था तथा संघर्षशीलता को प्रभावशाली ढंग से अभिव्यक्त करता है। 'नयी उम्मीद की दुनिया' संग्रह की ग़ज़लें इसी पृष्ठभूमि की कालिमा में उजास की गहरी लकीर खींचती प्रतीत होती हैं। ग़ज़लकार की दृष्टि-सम्पन्नता ने इन्हें अदम्य जिजीविषा के आलोक में संवेदनशीलता के चरम तक पहुँचाया है। सामान्य जन की प्रत्येक आह तथा कराह को दर्ज़ करते हुए भी रचनाकार नयी-नयी उम्मीदों के बल पर समाज में गुणात्मक परिवर्तन लाने का पक्षधर है। जीवन की जद् दोजहद में कभी भी न हार मानने वाले स्वप्नद्रष्टा व्यक्ति ही समाज की जड़ता तथा क्रूरता को समाप्त करने की क्षमता रखते हैं। सहज-सरल तथा सृजनात्मक हिन्दुस्तानी जुबान में लिखी इस संग्रह की ग़ज़लें पाठकों की सोच तथा संवेदना को और अधिक विस्तृत कर सृजन की नयी उम्मीदों की भरी-पूरी दुनिया का अनोखा चित्रा प्रस्तुत करने में सफल रहेंगी, इसी विश्वास के साथ यह संग्रह आपको सौंप रहे हैं। - प्रकाशक