Pata Nahin Kya Hoga

As low as ₹160.00
In stock
Only %1 left
SKU
9789326350075
"पता नहीं क्या होगा - हरजेन्द्र चौधरी समकालीन कहानी के जाने-माने नाम हैं। 'पता नहीं क्या होगा' उनका पहला कथा-संग्रह है। इसमें संकलित कहानियों से गुज़रते हुए हमें हमारे समय की बनती-बिगड़ती छवियाँ दिख पड़ती हैं। ख़ासकर नब्बे के बाद का समय, जो तमाम विराट सामाजिक व्यवस्थाओं के ध्वंस एवं चमकीले उदारीकरण के उदय का समय है, अपनी आत्मा में गहरे तक धँसे घातों-प्रतिघातों के साथ इन कहानियों में उद्भासित-उद्घाटित हुआ है। अच्छी बात यह है कि मोहभंग के इस युग को चित्रित करने में ज़्यादातर लेखकों की तरह हरजेन्द्र यहाँ स्वयं मोहग्रसित नहीं होते, न वे किसी प्रवक्ता-सी उदासी ही अख़्तियार करते हैं। यहाँ न तो पुराने के प्रति आसक्ति दिखती है न नये की अहेतुक सिफ़ारिश, न यहाँ किसी तरह का बयान है, न बखान। हरजेन्द्र के पात्र व कहानियों में वर्णित घटनाक्रम काफ़ी पहचाने से लगते हैं। पहचान की स्फीति में ये कहानियाँ बहुलार्थी-बहुवचनी हो उठती हैं। ख़ासकर संग्रह की शीर्षक कहानी—'पता नहीं क्या होगा' और 'लेजर शो'। 'नये फ्लैट में', 'अन्नपूर्णा', 'स्नोगेम्स', 'भूकम्प', 'दरवाज़ा खुला है' जैसी कहानियाँ रिश्तों में घुसपैठ करते ठंडापन की नब्ज़ टटोलती हैं। 'चिल्लर', 'चोम्स्की का चाचा', 'पनियल', 'लेटेस्ट गेम्स' जैसी कहानियाँ हमारे सामने उस भयावह यथार्थ को उद्घाटित करती हैं जिससे हम बुरी तरह घिरे हैं, लेकिन इसका कथात्मक रूपान्तरण कर हरजेन्द्र हमें एकबारगी झकझोर देते हैं। संक्षेप में, एक सर्वथा स्वागतयोग्य संग्रह। हरजेन्द्र को बधाई।—कुणाल सिंह "

Reviews

Write Your Own Review
You're reviewing:Pata Nahin Kya Hoga
Your Rating
Copyright © 2025 Vani Prakashan Books. All Rights Reserved.

Design & Developed by: https://octagontechs.com/