Pyaaree Anna
प्यारी ऑन्ना -
प्रस्तुत उपन्यास बेला कुन के पलायन से आरम्भ होता है, और रोमानियन फ़ौजों का देश में आगमन दिखाता है। उपन्यास का अन्त ट्रायनॉन सन्धि से थोड़ा ही पहले होता है जब कोस्तोलान्यी दैश्ज़ो का स्वयं का जन्म स्थान भी युगोस्लाविया के पास चला गया था। परन्तु उपन्यास इन सब राजनीतिक घटनाओं के बारे में नहीं है : ऐतिहासिक परिस्थितियों का ज़िक्र अवश्य है पर कहानी, समाज के बारे में है, सामाजिक विडम्बनाओं के बारे में है। एडमिरल होर्थी का बड़े बैण्ड बाजे के साथ बुदापैश्त में आने का केवल दृश्य मात्र है, होर्थी जो द्वितीय विश्व युद्ध के अन्त के हंगरी की बागडोर सँभाले था और जिसने 'लाल आतंक' के जवाब में 'सफ़ेद आतंक' को जन्म दिया था; उसके काल के बारे में बस छू भर दिया गया है। बस इन सब हालातों के कारण लोगों की जो मनःस्थिति हो गयी थी, जो ख़ालीपन और वहशीपन उनमें आ गया था, उसकी झलक ज़रूर हमें उपन्यास में देती है।