Ramkatha Navneet
रामकथा नवनीत -
रामायण केवल राम की कहानी नहीं है, वह राम अयन है —केवल राम का नहीं, बल्कि रामा (सीता) का भी। दोनों का समन्वित अयन ही रामायण है। राम और रामा में रमणीयता है तो अयन में गतिशीलता है। इसीलिए रामायण की रमणीयता गतिशील है। वह तमसा नदी के स्वच्छ जल की तरह प्रसन्न और रमणीय भी है और क्रौंच-मिथुन के क्रन्दन की तरह करुणाकलित भी है। राम प्रेम के प्रतीक हैं तो सीता करुणा की मूर्ति हैं। मानव जीवन के इन दोनों मूल्यों को आधार बनाकर वाल्मीकि ने रामायण की रचना की है जिसमें पृथ्वी और आकाश, गन्ध और माधुर्य तथा सत्य और सौन्दर्य का मंजुल सामंजस्य कथा को अयन का गौरव प्रदान करता है। जीवन की पुकार रामायण की जीव-नाड़ी है। जीना और जीने देना रामायणीय संस्कृति का मूल मन्त्र है और इसी में रामकथा-भारती की लोकप्रियता का रहस्य है।
भारतीय जनजीवन में ही नहीं, बल्कि विश्व-संस्कृति में भी वाल्मीकि की इस अमर कृति का विशिष्ट स्थान है। जीवन के हर प्रसंग में रामायण की याद आती है और हर व्यक्ति की जीवनी राम कहानी-सी लगती है। समता, ममता और समरसता पर आधारित मानव-जीवन की इसी मधुर मनोहारिता का मार्मिक चित्रण ही आर्ष कवि की अनर्घ सृष्टि का बीज है। यही बीज रामायण के विविध प्रसंगों में क्रमशः पल्लवित होकर अन्त में राम-राज्य के शुभोदय में सुन्दर पारिजात के रूप में विकसित होता है। यही रामायण का परमार्थ है, रामकथा नवनीत है और यही है आदिकवि का आत्मदर्शन।
प्रस्तुत है इस महनीय कृति का नवीन संस्करण।