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Vani Prakashan

Rashtrapita Aur Bhagat Singh

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‘शहीदे आजम भगत सिंह को फाँसी क्यों दी गयी? कब दी गयी? उनकी विचारधारा क्या थी? ऐसी ढेर सारी बातें बहुत लोगों को नहीं मालूम पर यह पता है कि भगत सिंह की फाँसी की सजा को महात्मा गाँधी चाहते तो रुकवा सकते थे लेकिन उन्होंने नहीं रुकवाया। महत्त्वपूर्ण सवाल यह उठता है कि किन तत्त्वों ने इस गलत बात को इतना प्रचारित और प्रसारित किया? अंग्रेजी हुकूमत को भी शायद इतना पता नहीं होगा कि उसकी साजिश इतनी शानदार सफलता को प्राप्त करेगी, जितनी हुई। यही नहीं, आज भी उसके साज़िश की दुर्गन्ध फल-फूल रही है, यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है। राष्ट्रपिता और भगत सिंह उन रचनाओं में से नहीं है, जिनमें किसी की लकीर को बड़ा साबित करने के लिए किसी अन्य की लकीर को घटाया और मिटाया जाता है। यह पुस्तक दो सच्चे महामानवों की समानान्तर गाथा, उनके विचारों और भारतीय जनमानस पर उनकी छाप का एक पक्षपात रहित खरा विमर्श है।

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9789388684293
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Vani Prakashan
Author: Sujata

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