Sab Ne Kuch Diya

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विश्वनाथप्रसाद तिवारी की कविताओं का यह छठा संग्रह है जिसमें एक दशक की कविताएँ संकलित हैं। इसमें संवेदनशील कवि भाव और विचार के अनेक स्तरों का स्पर्श करते हुए अस्तित्व के दोनों छोरों पर पहुँचता है जहाँ गहन आसक्ति और तीव्र अनासक्ति की लहरें महसूस की जा सकती हैं। संघर्ष तथा राग और विराग की इन कविताओं में जीवन के जलते सच का साक्षात्कार जितना प्रत्यक्ष है, जीवन की नश्वरता और उसके मिथ्यात्व का बोध भी उतना ही स्वाभाविक। आत्मविश्लेषण और आत्ममन्थन से निकली पंक्तियाँ कहीं सूक्तियों जैसी लगती हैं। सहजता तिवारी जी की कविताओं की विशिष्टता है। और उनके पारदर्शी व्यक्तित्व की भी। सहज होना जितना कठिन है. सहज कविता लिखना उतना ही मुश्किल। परिचित शब्दों में गहनतम अभिव्यक्तियों के लिए तिवारी जी की कविताएँ रेखांकित और स्मरण की जायेंगी।

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