Sukhfarosh

Rating:
0%
As low as ₹180.00
In stock
Only %1 left
SKU
9788126318650
"सुखफ़रोश - 'वह कहावत तो आप पाठकों ने भी ज़रूर सुनी होगी, फिर भी मेरा मन कह रहा है कि एक बार और सुना ही दो कि सोते हुए को जगाना तो मुमकिन है, जागा हुआ होने पर भी सोये हुए होने का अभिनय करने वाले को जगाना नामुमकिन है।' —वीरेन्द्र जैन के उपन्यास 'सुखफ़रोश' के ये वाक्य भारतीय मध्यवर्ग को समझने का सूत्र प्रदान करते हैं। लिप्साओं और लम्पटताओं से लिथड़े समय में ऐसी स्थितियाँ घटित होती हैं कि सहसा विश्वास नहीं होता। अपनी कथा-रचनाओं में विश्वसनीय यथार्थ को प्रस्तुत करना वीरेन्द्र जैन की विशेषता है। वे समाज की ज्वलन्त समस्याओं को चित्रित करनेवाले कथाकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। उनका यह उपन्यास 'सुखफ़रोश' भारतीय मध्यवर्ग (विशेषकर महानगरीय मध्यवर्ग) में एक आवेश की तरह व्याप्त बाज़ारवाद-उपभोक्तावाद को केन्द्र में रखकर लिखा गया है। साथ ही इसमें मानवीय सम्बन्धों मंक आते विचित्र परिवर्तनों को भी लक्षित किया गया है। चुटीली भाषा वीरेन्द्र जैन की पहचान है। कार्यालयों के जीवन की भीतरी लाक्षणिकताएँ चित्रित करनेवाले रचनाकारों में वीरेन्द्र जैन का नाम सर्वोपरि है। 'सुखफ़रोश' हमारे आज की रोचक गाथा है। "
Write Your Own Review
You're reviewing:Sukhfarosh
Your Rating
Copyright © 2025 Vani Prakashan Books. All Rights Reserved.

Design & Developed by: https://octagontechs.com/