Talghar

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"तलघर - वक़्त के पाँव में निशानियों के जूते होते हैं। यह एक ऐसा तन्त्र है जहाँ झूठ की अगरबत्तियाँ जलाकर, सच्चाई का मर्सिया पढ़ा जाता है। नफ़े-नुक़सान का गणित करनेवाले बहुत अच्छे दुनियादार तो होते हैं, बहुत अच्छे नागरिक नहीं। रिश्ते भी काग़ज़ के फूलों जैसे हो चुके हैं, न रखने को दिल करता है, न फेंकने को। उसकी हँसी जितनी ज़्यादा बेमतलब थी, उतने ज़्यादा सवाल पैदा करती थी, पता नहीं, वो हँसी थी या वक्तव्य! आख़िर में बचता भी क्या है, सम्बन्धों की बूढ़ी कथाएँ और स्मृतियों का समृद्ध आख्यान! ज़िन्दगी सिर्फ़ एक बार मिलती है और अमूमन उसे 'रफ़ ड्राफ़्ट' की तरह जिया जाता है। अलविदा— जैसे कोई लफ़्ज़ न हो, कैंची हो, रिश्तों के थान को चीरती हुई। एक दिन ऐसा आता है जब आपकी मेज़ पर कोई फ़ाइल नहीं होती, कोई ऑफ़िसर आपके नाम नोट नहीं लिखता, अटैंडेंस रजिस्टर से नाम हट जाता है और फिर कुलीग के ज़ेहन से भी आपका नाम हट जाता है। ...मौत से पहले की ये छोटी-छोटी मौतें होती हैं। "
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