Titiksha
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तितिक्षा -
बहुत कम कवि और शायर हमारे इस दौर में हैं, जिनकी कविताओं-रचनाओं से गुज़रते हुए हमें अचानक अपने समय का जीता-जागता इन्सान मिल जाता है। तब वह कविता काग़ज़ पर स्याह इबारत का कोई बेजान दस्तावेज़ भर नहीं रह जाती। हर शब्द के पीछे दिल की धड़कन शिराओं का स्पन्दन सुनाई देने लगता। हर वाक्य से मनुष्य की आत्मा और उसके वजूद की मौजूदगी की आँच और उसका अहसास हम तक पहुँचने लगता है। पंक्तियों के बीच की ख़ामोशी में किसी दरवेश की साँसें चलती हुई लगती हैं। माणिक की रचनाओं से गुज़रना अपने इसी वक़्त एक सचेत, उम्दा, ज़िन्दादिल और फ़िक्रमन्द मनुष्य से मिलने जैसा है।... और ख़ुद माणिक से मिलना, कविता की किसी साफ़ धवल पहाड़ी झरने या दरिया में नहाने जैसा है। - उदय प्रकाश